अपने विदाई संदेश में बोले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, पार्टियों को दलगत राजनीति से ऊपर उठना चाहिए

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राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के लिए राज्यसभा और लोकसभा दोनों सदनों ने संयुक्त रूप से विदाई समारोह का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्री और दोनों सदनों के सदस्य मौजूद रहे। कार्यक्रम की शुरुआत में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का स्वागत और सम्मान किया। इसके बाद उन्होंने राष्ट्रपति के स्वागत में संबोधन भी किया। इस दौरान उन्होंने राष्ट्रपति के रूप में रामनाथ कोविंद के विभिन्न कार्यों को याद किया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने विदाई भाषण में सदन में मौजूद सभी सदस्यों का धन्यवाद किया। इस दौरान राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि कोरोना काल के दौरान जो हमने आपदा देखी उससे हमने बहुत कुछ सीखा है। इस सीख को हमेशा अपने जेहन में रखना और इसी के साथ आगे बढ़ना है। कोविंद ने कहा कि जब वो बच्चे थे तो मिट्टी के कच्चे मकान में रहकर पढ़ाई करते थे। ऊपर छत से पानी टपकता रहता था मगर आज बच्चों के पास पहले से बहुत बेहतर सुविधाएं हैं। राष्ट्रपति कोविंद ने राजनीतिक दलों से राष्ट्रीय हित में दलगत राजनीति से ऊपर उठकर यह तय करने को कहा कि लोगों के कल्याण के लिए क्या जरूरी है। संसद के सेंट्रल हॉल में अपने विदाई भाषण में सांसदों को संबोधित करते हुए कोविंद ने शांति और सद्भाव के मूल्य पर जोर देते हुए कहा कि लोगों को अपने लक्ष्यों को पाने की कोशिश करने के लिए विरोध करने और दबाव बनाने का अधिकार है, लेकिन उनके तरीके गांधीवादी होने चाहिए। निर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सोमवार को भारत के 15वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगी। वह देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर काबिज होने वाली पहली आदिवासी होंगी। कोविंद ने मुर्मू को बधाई दी और कहा कि उनके मार्गदर्शन से देश को फायदा होगा। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे राष्ट्रपति के रूप में सेवा करने का अवसर देने के लिए देश के नागरिकों का हमेशा आभारी रहूंगा।’’

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