हाईकोर्ट ने कहा- मुख्तार अंसारी जैसे अपराधी कानून बनाते हैं, यह भारतीय लोकतंत्र पर धब्बा है

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इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने मुख्तार अंसारी की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि आशंका है कि अगर मुख्तार अंसारी को जमानत मिली तो वह बाहर आकर गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि मुख्तार अंसारी का जघन्य अपराधों से जुड़े 56 मामलों का इतिहास रहा है। यूपी के बांदा जेल में बंद बाहुबली और पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने बड़ा झटका दिया है और बाराबंकी एंबुलेंस केस में उसकी जमानत अर्जी खारिज कर दी। इस दौरान हाईकोर्ट लखनऊ बेंच में जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की सिंगल बेंच ने मुख्तार अंसारी पर अहम टिप्पणी की और कहा कि भारतीय लोकतंत्र की यह त्रासदी है कि मुख्तार जैसे अपराधी यहां कानून बनाते हैं। राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता वीके शाही ने मुख्तार की जमानत अर्जी का विरोध करते हुए दलील दी कि 21 दिसंबर 2013 को बाराबंकी के परिवहन विभाग में डॉ. अल्का राय के नाम से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर एक एंबुलेंस का पंजीकरण कराया गया। मामले का खुलासा होने पर जब विवेचना हुई तो डॉ. अल्का राय ने खुद स्वीकार किया कि मुख्तार अंसारी के लोग उनके पास कुछ दस्तावेज लेकर आए थे, जिस पर उन्होंने भय व दबाव में दस्तखत कर दिए। यही नहीं विवेचना शुरू होने के बाद महिला चिकित्सक पर यह दबाव भी डाला गया कि वह कहे कि मुख्तार की पत्नी अफसा अंसारी चार-पांच दिन के लिए एंबुलेंस को किराए पर पंजाब ले गई थी। जबकि एंबुलेंस का इस्तेमाल अत्याधुनिक अवैध हथियारों से लैस मुख्तार के लोगों को लाने ले जाने के लिए किए जाने का आरोप है।

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