प्रधानमंत्री मोदी का वैश्विक निकायों में सुधारों पर जोर, कहा-नयी वास्तविकताएं प्रतिबिंबित होनी चाहिए

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र सहित वैश्विक निकायों में सुधारों पर नए सिरे से जोर दिया और कहा कि दुनिया की ‘‘नयी वास्तविकताएं’’ ‘‘नयी वैश्विक संरचना’’ में प्रतिबिंबित होनी चाहिए क्योंकि यह प्रकृति का नियम है कि जो नहीं बदलते हैं समय के साथ उनकी प्रासंगिकता खत्म हो जाती है। जी20 शिखर सम्मेलन के ‘एक भविष्य’ सत्र में बदलाव की जरूरत वाले निकाय के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का हवाला देते हुए मोदी ने कहा, ‘‘यह जरूरी है कि दुनिया को बेहतर भविष्य की ओर ले जाने के लिए वैश्विक निकायों को आज की वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करना चाहिए।’’

उन्होंने कहा कि जब संयुक्त राष्ट्र की स्थापना 51 सदस्यों के साथ हुई थी, तो दुनिया अलग थी और अब सदस्य देशों की संख्या लगभग 200 हो गई है। मोदी ने कहा, ‘‘बावजूद इसके, यूएनएससी में स्थाई सदस्य आज भी उतने ही हैं। तब से आज तक दुनिया हर लिहाज से बहुत बदल चुकी है। परिवहन हो, संचार हो, स्वास्थ्य, शिक्षा, हर क्षेत्र का कायाकल्प हो चुका है। ये नयी वास्तविकताएं हमारी नयी वैश्विक संरचना में प्रतिबिंबित होनी चाहिए।’’ यूएनएससी के पांच स्थायी सदस्यों में अमेरिका, चीन, फ्रांस, ब्रिटेन और रूस शामिल हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हमें खुले मन से विचार करना होगा कि आखिर क्या कारण है कि बीते वर्षों में अनेक क्षेत्रीय मंच अस्तित्व में आए हैं, और ये प्रभावी भी सिद्ध हो रहे हैं।’’.

सुधारों की वकालत करते हुए उन्होंने कहा कि इसीलिए शनिवार को अफ्रीकी संघ को जी20 का सदस्य बनाकर एक ऐतिहासिक पहल की गई। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘इसी तरह, हमें बहुपक्षीय विकास बैंक के ‘मैंडेट’ का विस्तार भी करना होगा। इस दिशा में हमारे फैसले तुरंत होने चाहिए और प्रभावी भी होने चाहिए।’’.

मोदी ने अपने संबोधन में साइबर सुरक्षा और ‘क्रिप्टो करेंसी’ को दुनिया के वर्तमान और भविष्य को प्रभावित करने वाले ज्वलंत मुद्दों में से एक बताया। उन्होंने कहा कि क्रिप्टो करेंसी सामाजिक व्यवस्था और मौद्रिक एवं वित्तीय स्थिरता के लिए एक नया विषय है। उन्होंने इसे विनियमित करने के लिए वैश्विक मानकों के विकास की मांग की।

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