जेल से सरकार ,आ बैल मुझे मार ,ज्यादा दिन नहीं चलेगी यह रार
-अश्वनी भारद्वाज –
नई दिल्ली ,वैसे तो हैडलाइन में ही सारी कहानी खत्म होती दिख रही है लेकिन हमें अपने पाठकों को थोड़ा विस्तार से बताना होगा | पिछले तीन चार आर्टिकल हमनें सुनीता केजरीवाल और अरविन्द केजरीवाल पर क्या लिख डाले हमारे मित्र पूछने लगे पंडित जी आखिर माजरा क्या है | आपकी आम आदमी
पार्टी से सहानुभूति क्यों बढ़ती जा रही है | नहीं भाई ऐसा नहीं है , हमारे लिए आम यों या खास सब एक समान है | बस बात इतनी सी है हम सही को सही और गलत को गलत लिखने का साहस रखते है |
अरविन्द केजरीवाल की गिरफ्तारी और सुनीता केजरीवाल की ताजपोशी पर हमने खुलकर अपने विचार आप सभी से साझा किये थे | हमने यह भी साझा किया था सुनीता केजरीवाल को जनता की काफी सहानुभूति मिलने के आसार है | लेकिन चार रोज पहले यह भी लिखा था अरविन्द नें जेल से सरकार चलाने की जिद्द नहीं छोड़ी तो ना केवल उन्हें बल्कि उनकी पार्टी को भी भारी पड़ेगा | केंद्र सरकार बड़े से बड़ा निर्णय ले सकती है जो राष्ट्रपति शासन तक भी पहुंच सकता है | और पार्टी के विधायक उनकी गैर मौजूदगी में एकजुट रह पायेगें या नहीं इसमें भी संदेह है |
आबकारी मामले में हुई दो नई एंट्री आतिशी और सौरभ क्या गुल खिलाएंगी यह भी देखना होगा | दिल्ली सरकार की मंत्री आतिशी नें कल एक बड़ा खुलासा करने का दावा किया है वह क्या होगा भी कईयों की नीदं उड़ाने वाला है | केजरीवाल को हमने याद दिलाया था यदि वे शतरंज के खिलाडी हैं तो सामने वाले भी कब्बडी नहीं खेलते | कुल मिलाकर अरविन्द केजरीवाल यह भूल जाएं कि उन्हें जेल से सरकार चलाने की अनुमति मिलेगी | इसीलिए हम अरविन्द को
मशविरा दे रहे हैं छोड़े जिद्द और दें दें ईस्तीफा, विधायक दल का नेता चुनवा दें सुनीता केजरीवाल को | अन्यथा कहीं ऐसा ना हो कि ना तो खुदा मिले और ना ही विलासे सनम | आपके विधायक बागी हो गए तो बाजी आपके हाथ से निकल जायेगी | आज बस इतना ही …