बिहार में पढ़ाई की सूरत कब सुधरेगी ये खुद भगवान भी नहीं बता सकते जबकि राज्य में स्कूल और कॉलेज की शिक्षा व्यवस्था मोटा-मोटी भगवान भरोसे ही चल रही है। राज्य की राजधानी पटना के दिल में बसे कंकड़बाग में एक स्कूल कैंपस है जिसमें सात स्कूल चलते हैं। दो हाई स्कूल और पांच मिडिल स्कूल। दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि पांच मिडिल स्कूल का मकान एक ही है जिसमें कुल जमा आठ कमरे हैं। राज्य में मध्य विद्यालयों में कक्षा 1 से 8 की पढ़ाई होती है। इस हिसाब से पांच मिडिल स्कूल के टोटल क्लास बने 40।
प्रधानाध्यापकों ने अपना-अपना चैंबर बनाकर पांच कमरे निपटा दिए
अब जो 8 कमरे हैं उसमें पांच मध्य विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों ने अपना-अपना चैंबर बनाकर पांच कमरे निपटा दिए हैं। बचे तीन कमरे में पांच स्कूलों के 40 क्लास के कुल 944 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। और स्कूल के शिक्षक ब्रेक कहां लेते होंगे, ये एक अलग ब्रह्म-सवाल है। अब इसे स्कूल कहा जाए या कबूतरखाना, आप ही तय कर लीजिए। और ये सब बात किसी विपक्षी नेता का आरोप नहीं है।
पांच मिडिल स्कूल को मिलाकर एक स्कूल बना दिया
ये सारे तथ्य शिक्षा विभाग की क्षेत्रीय उप निदेशक की जांच रिपोर्ट में हैं। उप-निदेशक ने सरकार से सिफारिश की है कि पांच मिडिल स्कूल को मिलाकर एक स्कूल बना दिया जाए जिससे प्रधानाध्यापकों की संख्या पांच से घटकर एक हो जाए और फिर बाकी 7 कमरों में पढ़ाई का काम चल सके। शिक्षा विभाग की क्षेत्रीय उप-निदेशक सुनयना कुमारी औचक निरीक्षण में जब रघुनाथ बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय पहुंची तो उनका सिर ही चकरा गया।