यमुना की सफाई के दावों की पोल खोली पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की रिपोर्ट नें : अरुण तोमर

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अरुण तोमर
यमुना की सफाई के दावों की पोल खोली पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की रिपोर्ट नें : अरुण तोमर

यमुना की सफाई के दावों की पोल खोली पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की रिपोर्ट नें : अरुण तोमर

* यमुना का पानी लोगों के नहाने लायक भी नहीं

नई दिल्ली ( सी.पी.एन.न्यूज़ ) : राजधानी दिल्ली में अपनी सरकार बनने के तुरंत बाद भारतीय जनता पार्टी नें यह प्रचार करना शुरू कर दिया था भाजपा सरकार नें शपथ लेते ही यमुना की सफाई को ले युद्ध स्तर पर काम करना शुरू कर दिया है और सरकार के मंत्रियों नें नाव में बैठ यमुना की सैर करते हुए फोटो सेशन भी मीडिया को जारी किये थे लेकिन केन्द्रीय पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की रिपोर्ट नें दिल्ली सरकार की पोल खोल कर रख दी है | यह कहना है आम आदमी पार्टी घोंडा विधानसभा के पूर्व संगठन मंत्री अरुण तोमर का |

अरुण तोमर कहते हैं केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने सोमवार को जानकारी दी कि यमुना नदी में प्रदूषण स्तर की निगरानी के लिए 33 स्थानों में से 22 स्थानों का पानी केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मानकों पर खरा नहीं उतरा है. मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, संसद की स्थायी समिति के समक्ष प्रस्तुत किए गए प्रेजेंटेशन में बताया गया कि दिल्ली और उत्तर प्रदेश में क्रमशः 7 और 12 स्थानों के पानी के सैंपल गुणवत्ता परीक्षण में असफल रहे, जबकि उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में मॉनिटरिंग किए गए 4 स्थानों के पानी के सैंपल सीपीसीबी के मानदंडों पर खरे उतरे हैं | इस रिपोर्ट नें दिल्ली सरकार की हवाबाजी की पोल खोलकर रख दी है |

अरुण तोमर कहते हैं दिल्ली में सफाई अभियानों के बावजूद यमुना का पानी लोगों के नहाने लायक भी नहीं है। खासतौर पर दिल्ली और हरियाणा की सीमा पल्ला और वजीराबाद में तो यमुना का पानी बेहद प्रदूषित है। इन जगहों पर यमुना का पानी लोगों के नहाने लायक नहीं है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की ओर से नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में यमुना के जल की गुणवत्ता को लेकर पेश की गई रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। अरुण तोमर कहते हैं बिना उपचारित सीवेज और नालों का यमुना में गिरना राष्ट्रीय राजधानी में नदी के प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है | केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने संसदीय समिति के समक्ष प्रस्तुत किए गए आंकड़ों में बताया कि फरवरी 2025 तक, दिल्ली में उत्पन्कुल 3,600 एमएलडी में से 791 एमएलडी सीवेज बिना उपचारित रह जाता है. मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, दिल्ली के 22 नालों में से केवल 9 नाले पूरी तरह से और 2 आंशिक रूप से टैप किए गए हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि केवल 11 नाले ऐसे हैं जिनसे निकलने वाले गंदे पानी को साफ करके यमुना में छोड़ा जाता है |

दिल्ली में तुगलकाबाद, अबुल फजल, आईएसबीटी, सोनिया विहार, कैलाश नगर, शास्त्री पार्क, बारापुला, महारानी बाग और जैतपुर में नौ अनटैप्ड ड्रेन मौजूद हैं. इसके अलावा, नजफगढ़ और शाहदरा जैसे दो बड़े ड्रेन तकनीकी दृष्टि से टैप करने के लिए उपयुक्त नहीं माने जाते हैं |

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