शिवसेना उद्धव गुट फिर पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, शिंदे गुट के विधायकों को जल्द अयोग्य घोषित करने की मांग

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उद्धव गुट फिर पहुंचा शीर्ष कोर्ट; CM शिंदे-अन्य विधायकों की लंबित अयोग्यता याचिका पर निर्देश की मांग

शिवसेना (यूबीटी) के एमएलए सुनील प्रभु द्वारा दाखिल की गई याचिका में आरोप लगाया गया है कि महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर शीर्ष अदालत के 11 मई के फैसले के बावजूद जानबूझकर फैसले में देरी कर रहे हैं।

इस समय देश की राजनीति का केंद्र बने महाराष्ट्र में सियासी माहौल गर्माया हुआ है। एनसीपी में फूट और पार्टी पर अधिकार को लेकर चाचा-भतीजे की लड़ाई के बीच शिवसेना (यूबीटी) ने एक बार फिर शीर्ष कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट ने रिट याचिका दाखिल कर शीर्ष कोर्ट से मांग की है कि वह महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अन्य विधायकों के खिलाफ दायर अयोग्यता याचिकाओं पर शीघ्र फैसला करने का निर्देश दे।

शिवसेना (यूबीटी) के एमएलए सुनील प्रभु द्वारा दाखिल की गई याचिका में आरोप लगाया गया है कि महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर शीर्ष अदालत के 11 मई के फैसले के बावजूद जानबूझकर फैसले में देरी कर रहे हैं। बता दें कि अविभाजित शिवसेना के मुख्य सचेतक के रूप में सुनील प्रभु ने 2022 में शिंदे और अन्य विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिका दायर की थी।

इस याचिका में कहा गया है कि संभव हो तो विधानसभा अध्यक्ष को दो सप्ताह के भीतर फैसला लेने का निर्देश दिया जाए। रिट याचिका में पार्टी के मुख्य सचेतक सुनील प्रभु ने कहा, अयोग्यता की कार्यवाही पर निर्णय लेने में स्पीकर की निष्क्रियता एक अनुचित सांविधानिक कृत्य है। क्योंकि इससे अयोग्य ठहराए जाने योग्य विधायकों को विधानसभा में बने रहने और मुख्यमंत्री समेत महाराष्ट्र सरकार में अन्य जिम्मेदार पदों पर बने रहने की अनुमति मिल गई। उन्होंने तर्क दिया कि स्पीकर ने 23 जून, 2022 से लंबित अयोग्यता याचिकाओं के संबंध में कोई बैठक नहीं बुलाई है, जबकि संविधान पीठ के 11 मई, 2023 के आदेश के बाद उन्हें उचित अवधि के भीतर मामले का फैसला करने के लिए तीन अभ्यावेदन भेजे गए।

याचिका में यह भी कहा गया कि इस अदालत के लिए उचित निर्देश जारी करना सांविधानिक रूप से अनिवार्य है कि ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि दसवीं अनुसूची (दल-बदल विरोधी कानून) के प्रावधान केवल स्पीकर की निष्क्रियता के कारण निष्प्रभावी न हो जाएं।

याचिका में कहा गया है कि 23 जून, 2022 को कुल 16 अयोग्यता याचिकाएं दायर की गईं थी। 25 जून, 2022 को उपाध्यक्ष द्वारा नोटिस जारी किए गए, जिसमें बागी विधायकों को 27 जून, 2022 तक अपना जवाब दाखिल करने का समय दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने 27 जून, 2022 को अपने आदेश में शिंदे और अन्य समान स्थिति वाले विधायकों को जुलाई, 2022 तक अपना जवाब दाखिल करने का समय दिया। हालांकि अब तक कोई जवाब दाखिल नहीं किया गया है। लिहाजा, इन 16 याचिकाओं पर जवाब दाखिल करने का अधिकार अब खत्म हो गया है।

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