अपनी पार्टी छोड़ो हमारे साथ आओ -झाड़ू की टिकिट ले जाओ
– अश्वनी भारद्वाज –
नई दिल्ली ,हैडलाइन पढ़ कर आप सोच रहे होंगे ये हमने क्या लिख दिया ,क्या हम अरविन्द केजरीवाल की भाषा बोल रहे है | नहीं भाई हम नहीं बोल रहे और ना हमें इसकी जरूरत , लेकिन यह भाषा दिल्ली बोल रही है | आप खुद देख लो अरविन्द की लिस्ट में अपने मंत्रियों के साथ-साथ उनका अपना नाम भी नहीं है | वहीं पिछले एक पखवाड़े के भीतर कांग्रेस के तीन नेताओं और भाजपा के तीन उन नेताओं के नाम है जिन्होंने अपनी पार्टी छोड़ आप का दामन थामा था | आपको याद दिला दें कांग्रेस के जिला अध्यक्ष जुबेर अहमद,पूर्व विधायक वीर सिंह धिगान तथा सुमेश शौक़ीन नें कांग्रेस से नाता तोड़ आम आदमी पार्टी से नाता जोड़ा था जिन्हें अरविन्द केजरीवाल की पार्टी नें उन्हें झाड़ू थमा दी |
यानी विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी बना दिया और अपने जीते हुए विधायकों का पत्ता साफ़ कर दिया | हालांकि सीमापुरी के विधायक राजेन्द्र पाल गौतम खुद ही पार्टी छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गए थे | और ऐसा भी नहीं है कि इन तीनों विधानसभा क्षेत्रों में आप पार्टी के पास मजबूत प्रत्याशी नहीं थे ,अलबत्ता इनसे कहीं मजबूत चेहरे थे ,जिनका यहाँ जिक्र करना जरूरी नहीं है | लेकिन अरविन्द आवाम को केवल यह संदेश देना चाहते हैं दूसरी पार्टी के नेता अपनी पार्टी छोड़ हमसे मिल रहे हैं यानी हमारी हवा बरकरार है | समझ गए ना आप ,यदि हवा बरकरार है फिर दूसरी पार्टियों में ताकझांक की क्या जरूरत पड़ी आपको | ठीक इसी तरह इसी दौरान भाजपा में भी सेंधमारी की गई जहां पूर्व विधायक ब्रह्म सिंह तंवर, अनिल झा झा तथा निगम स्थायी समिति के पूर्व अध्यक्ष बी.बी.त्यागी को अपने पाले में ले भाजपा को करारा झटका दे अपनी पार्टी का प्रत्याशी बना दिया | राजनीति में गुना -भाग में माहिर अरविन्द नें शतरंज तो अच्छी खेली है लेकिन इस बात की क्या गारंटी है कि उनके फैसले पर जनता भी मुहर लगाएगी |
आज की सूची से एक संदेश तो अरविन्द नें दे दिया अपनी पार्टी छोड़ो मेरे पास आओ ,मेरा माहौल बनाओ और झाड़ू की टिकिट पाओ | लेकिन जनता के बीच यह संदेश भी दे दिया जिनकी टिकिट मैं काट रहा हूँ वे नाकारा थे उन्होंने जनता के लिए कुछ नहीं किया ,मैं फिर डमरू बजाऊंगा लोग तमाशा देखेंगे और पैसा फेकेंगे क्या बात है, क्या सोच है अरविन्द आपकी ,आपको याद दिला दे यह दिल्ली है तमाशा जरुर देखती है लेकिन बार-बार पैसा नहीं फेंकती ,इस दिल्ली नें दिल्ली की विकास गाथा लिखने वाली शीला दीक्षित और उनकी पूरी टीम को ही निपटा दिया था ,इस दिल्ली नें दिल्ली के बे-ताज बादशाह एच.के.एल.भगत जैसे दिग्गज को घर बिठा दिया था | और हमारी बात याद रखना ये पासा भी उल्टा पड़ेगा इस सम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकता | अभी समय है सम्भल जाओ आने वाली डगर कठिन है ,अपने आन्दोलन के साथियों को मत भूलो ,अपने लोगो को मौका दो कहीं ऐसा न हो दूसरों को गले लगाने के चक्कर में अपनों से भी हाथ धो बैठो | जिसे आज अपनी जीत समझ रहे हो यह जीत नहीं बल्कि हताशा है | आज बस इतना ही …