इंडोनेशिया के पूर्वी जावा प्रांत में एक फुटबॉल मैच के दौरान मची भगदड़ में 174 लोगों की मौत हो गई और 180 लोग घायल हो गए। इंडोनेशियाई पुलिस ने आज ये जानकारी दी है। बताया जा रहा है कि अरेमा एफसी और पर्सेबाया सुराबाया के बीच मैच समाप्त होने के बाद, हारने वाली टीम के समर्थकों ने ग्राउंड पर हमला कर दिया। इस पर पुलिस ने आंसू गैस छोड़ी जिससे भगदड़ मच गई। हादसे में दम घुटने के मामले सामने आए। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियोस में लोग मलंग के स्टेडियम में दौड़ते हुए और शवों को ले जाते हुए दिखाए गए हैं। बीती रात इंडोनेशिया में पूर्वी जावा के मलंग रीजेंसी के कंजुरुहान स्टेडियम में इंडोनेशियाई लीग बीआरआई लीगा 1 का एक फुटबॉल मैच खेला गया था। यह मैच अरेमा एफसी और पर्सेबाया सुरबाया के बीच खेला गया। पुलिस के अनुसार, मैच में हारने के बाद फैंस भड़क गए और मैदान में आकर उत्पात मचाने लगे। पुलिस ने किसी तरह खिलाड़ियों को बचाया और उपद्रवियों को काबू में करने के लिए आंसू गैस के गोले दागने पड़े। जिसके बाद भगदड़ मच गई और सैकड़ों लाशें मैदान में बिछ गई। इंडोनेशियाई शीर्ष लीग बीआरआई लीग 1 ने इस मैच के बाद एक सप्ताह के लिए खेलों पर रोक लगा दी है। इस मैच में पर्सेबाया ने 3-2 से जीत हासिल की थी। इंडोनेशिया के फुटबॉल संघ ने कहा कि घटना की जांच शुरू कर दी गई है।
पहले भी हो चुके है ऐसी हिंसा
फुटबॉल मैचों के खूनी इतिहास पर नजर डालें तो अब तक की सबसे बड़ी हिंसा 58 साल पहले 24 मई 1964 में हुई थी। पेरू के नेशनल स्टेडियम में मैच खेला जा रहा था। मुकाबला था अर्जेंटीना और पेरू के बीच। दोनों टीमें टोक्यो ओलंपिक में अपनी जगह पक्की करने के लिए मैदान में डटी थी। अर्जेंटीना मैच खत्म होने से 2 मिनट पहले 1-0 से आगे चल रही थी। तभी पेरू ने गोला दागा लेकिन, मैच रेफरी ने गोल को अमान्य करार दिया। इससे पेरू ओलंपिक से बाहर हो गया। पेरू ओलंपिक से बाहर हो चुका था। गुस्साए पेरू के फैंस मैदान में आ धमके और तांडव मचाने लगे। पुलिस ने भी जवाबी कार्रवाई में आंसू गैस के गोले दागे और उपद्रवियों को खदेड़ा। इससे मैदान में भगदड़ मच गई। स्टेडियम का दरवाजा बंद होने की वजह से लोगों को बाहर जाने के लिए जगह नहीं मिली। इस कारण 320 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी।