तिमारपुर विधानसभा से कांग्रेस में आधा दर्जन मजबूत दावेदार
* सबकी पहुंच है हाईकमान तक
– अश्वनी भारद्वाज –
नई दिल्ली ,राजधानी दिल्ली में कांग्रेस की डगर तो आसान है नहीं लेकिन विधानसभा चुनावों में दावेदारों की कोई कमी नहीं है | तकरीबन हर सीट पर आधा दर्जन से ले एक दर्जन तक दावेदार मजबूती से जमें है और अपने -अपने तरीके से दावा जता रहे हैं | आज हम उत्तर पूर्वी दिल्ली की तिमारपुर विधानसभा की चर्चा करने जा रहे हैं | तिमारपुर विधानसभा से जहां तक भारतीय जनता पार्टी का सवाल है उसके खाते में केवल एक बार ही जीत दर्ज हुई है जबकि आम आदमी पार्टी तीन और कांग्रेस यहाँ से चार चुनाव जीत चुकी हैं |
आम आदमी पार्टी के गठन के बाद कांग्रेस व भाजपा यहाँ से कोई चुनाव नहीं जीत सकी है | लिहाजा इस विधानसभा को आप का गढ़ माना जा सकता है | वर्तमान में दलीप पाण्डेय यहाँ से विधायक है | अब कांग्रेस की बात कर लेते हैं पूर्व निगम पार्षद और कांग्रेस के जमीनी नेता रहे स्व;कप्तान सिंह की धर्मपत्नी अमरलता सांगवान विधानसभा का पिछला चुनाव यहाँ से लड़ी थी लेकिन चुनाव हार जाने के बाद वे भाजपा में शामिल हो गई थी और भाजपा नें उन्हें नगर निगम का चुनाव भी लड़वाया था लेकिन जीत उनके खाते में नहीं आ सकी | अमरलता एक बार फिर से कांग्रेस में लौट चुकी हैं और विधानसभा का टिकिट मांग रही है | बताया जाता है वे इसी शर्त पर पार्टी में शामिल हुई हैं |
कप्तान सिंह की वरिष्ठ नेता अजय माकन से नजदीकियां रही हैं | अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव जितेन्द्र बघेल जो कि आसाम के प्रभारी भी है और उनकी पकड़ भी पार्टी हाईकमान तक मानी जाती है उनका दावा भी मजबूती से इस सीट पर बना हुआ है | जितेन्द्र बघेल दिल्ली कांग्रस की ओर से बाबरपुर जिले के प्रभारी है लिहाजा उनकी पकड़ दिल्ली प्रदेश से ले हाईकमान तक मानी जाती है | पूर्व महानगर पार्षद चौधरी कल्याण सिंह के पुत्र लोकेन्द्र चौधरी भी मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं उनकी पकड़ भी शीर्ष नेत्रत्व तक बताई जाती है | चौधरी कल्याण सिंह की अपने जमाने में तूती बोलती थी | 1998 के लोकसभा चुनाव में वे ना केवल मजबूत दावेदार थे बल्कि उनके नाम की घोषणा तक हो गई थी लेकिन एन वक्त पर सिंबल शीला दीक्षित को आवंटित कर पार्टी नें उन्हें प्रत्याशी बना दिया था | जहां तक अन्य दावेदारों का सवाल है प्रेम वधवा ,अशोक भसीन ब्लाक अध्यक्ष डॉ.वी.आर.चौधरी ,नेत्रपाल सिंह ,अंकित प्रधान और भी कई नाम है | आज बस इतना ही …
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