डेडलाइन खत्म! तिहाड़ जेल में जाने के लिए लगी कैदियों की लंबी लाइन, जानें- क्या है पूरा मामला?

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दिल्ली की तिहाड़ जेल में सरेंडर करने के लिए लगी कैदियों की कतार

कोरोना महामारी के दौरान सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 4683 कैदियों की रिहाई की गई थी. इसमें 1184 कैदी दोषी करार दिए गए थे, जबकि अन्य विचाराधीन कैदी थे. लेकिन इनमें से अधिकतर कैदियों ने अब तक जेल में वापस सरेंडर नहीं किया था.

देश के किसी भी जेल में जाने के लिए कभी आपने सुना है कि लंबी लाइन लगी है. आपने न कभी सुना होगा और न ही देखा होगा, लेकिन इन दिनों दिल्ली में जेल जाने के लिए लंबी लाइन लगी हुई है. आखिर क्यों लगी है दिल्ली के जेलों के बाहर लंबी लाइन, हम आपको बताते हैं. दरअसल, कोरोना (Corona) काल में दिल्ली के जेलों से जिन कैदियों को जमानत दी गई थी, उनमें से ज्यादातर ने अब तक सरेंडर नही किया है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 24 मार्च को ऐसे चार हजार से अधिक कैदियों को 15 दिन के अंदर तिहाड़ जेल में आत्मसमर्पण करने के आदेश दिए थे.

इसके बावजूद 7 अप्रैल तक करीब 1768 कैदियों ने ही सरेंडर किया है, जिस हिसाब से शुक्रवार तक कैदियों के खुद को सरेंडर किया है, उसके अनुसार तय समय तक काफी कैदी जेल वापस नहीं पहुचेंगे. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की दी गई आखिरी तारीख होने की वजह से शनिवार (8 अप्रैल) को जेलों के बाहर सरेंडर करने के लिए कैदियों की लंबी लाइन नजर आ रही है.

कैदियों को क्यों छोड़ा गया था जमानत ये पैरोल पर?

तिहाड़ जेल प्रशासन ने बताया कि जेल में कैदियों को कोरोना से बचाने के लिए 2020-21 में अलग-अलग समय में 3,630 विचाराधीन और 751 सजायाफ्ता कैदियों को परोल और अंतरिम जमानत दी गई थी. मकसद था कि जेलों के अंदर भीड़-भाड़ अधिक होने की वजह से कहीं कोरोना न फैल जाए. हाई पावर कमिटी और कोर्ट के आदेशों से ऐसे कैदियों को जमानत देकर छोड़ा गया था. पिछले साल ऐसे 751 कैदियों में से 71 और 3,630 विचाराधीन कैदियों में से 267 कैदियों ने तिहाड़, रोहिणी और मंडोली जेलों में सरेंडर कर दिया था.

तिहाड़ जेल में 448 विचाराधीन कैदियों ने किया सरेंडर

अब 4083 कैदियों (680 सजायाफ्ता और 3363 विचाराधीन) को 15 दिनों के अंदर अपनी-अपनी जेलों में सरेंडर करना था. इनमें से 7 अप्रैल तक कुल 1768 कैदियों ने तिहाड़, रोहिणी और मंडोली जेल में सरेंडर किया है. जेल प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार, तिहाड़ में 7 अप्रैल तक 448 विचाराधीन और 195 सजायाफ्ता, रोहिणी में 52 विचाराधीन और 09 सजायाफ्ता, जबकि मंडोली में 196 विचाराधीन और 63 सजायाफ्ता कैदियों ने सरेंडर किया है. शनिवार को जेल के बाहर कैदियों की लंबी लाइन लगी हुई है, जिससे वो सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार सरेंडर कर उनके खिलाफ होने वाली सख्त कार्रवाई से बच सकें.

8 अप्रैल के बाद होगी कानूनी कार्रवाई

अब जेल प्रशासन बचे हुए तमाम कैदियों की संबंधित कोर्ट और थाने को पत्र लिखकर सरेंडर कराने की तैयारी कर रहा है. अधिकारियों ने बताया कि 8 अप्रैल को 15 दिन पूरे हो जाएंगे. बाकी जो भी कैदी तय समय पर सरेंडर नहीं करेगा, उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

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