जहां झुग्गी वहीं मकान वाला भाजपा का नारा जुमला साबित हुआ : हाजी जरीफ

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जहां झुग्गी वहीं मकान वाला भाजपा का नारा जुमला साबित हुआ : हाजी जरीफ

नई दिल्ली ( सी.पी.एन.न्यूज़  ) : अनधिकृत कॉलोनियों के निवासियों को मालिकाना हक देने और जेजे क्लस्टर और स्लम क्षेत्रों में रहने वाले गरीब लोगों को इन-सीटू योजना के तहत जहां झुग्गी वहीं मकान योजना के तहत फ्लैट देने का भाजपा का वादा, पूरी तरह जुमला साबित हुआ और वर्तमान लोकसभा चुनाव में लाए गए इनके संकल्प पत्र में इनकी अनदेखी की गई ।  यह कहना है कबीर नगर से कांग्रेस के निगम पार्षद हाजी जरीफ का | हाजी जरीफ कहते हैं कॉंग्रेस पार्टी ने 1797 अनाधिकृत कॉलोनियों के नियमितिकरण का काम शुरू किया था,
मोदी सरकार के शुरुवाती 5 वर्षों में आरोप-प्रत्यारोप को छोड़ इस पर कोई काम नहीं किया और 29.अक्टूबर.2019 को भाजपा सरकार ने दिल्ली की अनधिकृत या कच्ची कॉलोनियों के अनुमानित 8 लाख सम्पत्तियों (मकान/प्लॉट) का मालिकाना हक़ देने के लिए अधिनियम, 2019 को संसद में पारित कराया गया। हाजी जरीफ नें  कहा कि पीएम उदय स्कीम के तहत 13 अक्टूबर 2023 तक लगभग 4.6 लाख लोगों ने इस योजना में लाभ पाने के लिए डीडीए पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवाया परंतु 5 वर्षों में रजिस्ट्री करने देने वालों की 8 लाख की संख्या में से सिर्फ 25 हजार  के आसपास लोगो  को ही कन्वेंस डीड के तहत मालिकाना हक़ मिल पाया है। उन्होंने कहा कि इस गति से काम हुआ 200 वर्षों में 10 लाख परिवार को मालिकाना हक मिल पाएगा। गरीबों को मालिकाना हक दिलाने का वादा कर, उनकी झुग्गियों में बुलडोजर चलाया गया है |हाजी जरीफ नें कहा ने कहा कि भाजपा के शासन में बढ़ती वर्गीकृत असमानता केकारण महंगाई, बेरोजगारी, समाजिक तुष्टीकरण, भेदभाव के कारण 95 प्रतिशत जनसंख्या असुरक्षित महसूस कर रही है। पिछले 10 वर्षों में बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी, स्वास्थ्य और शिक्षा के गिरते स्तर के कारण गरीब, मजदूर, मजबूर, वंचित, निम्न व मध्यम वर्ग अपने भविष्य को लेकर चिंतित महसूस कर रहा है। पेट्रोल, डीजल बढ़ोत्तरी, जीएसटी, नोटबंदी से देश को भारी आर्थिक नुकसान हुआ है। भाजपा ने 2 करोड़ नौकरी देने का वायदा किया था, परंतु अब तक 20 करोड़ नौकरी नही दी और बेरोजगारी 45 वर्षों का रिकॉर्ड स्तर पर है, 19-24 वर्ष आयु वर्ग के 45.4 प्रतिशत युवा बेरोजगार है देश के भविष्य के लिए बड़ा प्रश्न है। आज किसान, युवा, महिला, मजदूर, छोटे बड़े व्यापारी हर
आम जनमानस परेशान है।

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