सोशल मीडिया पर प्रभावी नहीं तो फैक्ट चेक यूनिट की जरूरत क्या है.. केंद्र से बोला बॉम्बे हाई कोर्ट
बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा है कि सरकार की फैक्ट चेक यूनिट (एफसीयू) अगर सोशल मीडिया पर गलत सूचनाओं को हटाने को मजबूर नहीं कर सकती तो इसकी क्या जरूरत है?
भारत सरकार से संबंधित फेक न्यूज को लेकर चल रही एक सुनवाई पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार (26 सितंबर) को महत्वपूर्ण टिप्पणी की है. कोर्ट ने केंद्र सरकार के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि अगर केंद्र सरकार की फैक्ट चेक यूनिट (एफसीयू) सोशल मीडिया पर फर्जी सूचनाओं को हटाने के लिए बाध्य नहीं कर सकती, तो उसकी जरूरत क्या है.
जस्टिस जीएस पटेल ने भारत सरकार के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा की इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी रूल 2021 में अमेंडमेंट की क्या जरूरत थी, अगर यह सरकार के फैक्ट चेक यूनिट (एफसीयू) को सोशल मीडिया से फर्जी, गलत या भ्रामक सूचनाओं को हटाने के लिए मजबूर नहीं कर सकता. मामले में पक्ष रखने के दौरान तुषार मेहता ने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को इस बात की आजादी है कि वह सरकार के फैक्ट चेक यूनिट की ओर से गलत, फर्जी या भ्रामक चिन्हित की गई सूचनाओं को हटाए या न हटाए.
क्या है मामला?
जस्टिस पटेल और नीला गोखले की खंडपीठ संशोधित आईटी रूल्स 2023 के उस खंड पर सुनवाई कर रही थी जो फैक्ट चेक यूनिट को सरकार के कारोबार से संबंधित फर्जी, गलत, या भ्रामक सूचनाओं की पहचान करने की शक्ति देता है. कॉमेडियन कुणाल कर्मा, एडिटर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया और एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगज़ीन की ओर से इस बाबत याचिका लगाई गई है. इसके पहले जुलाई में कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि फैक्ट चेक यूनिट की शक्तियों और उसके द्वारा चिन्हित किए गए सूचनाओं को लेकर स्थिति स्पष्ट करने की जवाबदेही केंद्र सरकार की है.
सरकार का क्या है कहना?
मंगलवार को कोर्ट में तर्क रखते हुए सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कहा कि भारत सरकार जो कारोबार करती है उससे संबंधित सूचनाएं मायने रखती हैं. उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी या सरकार के किसी मंत्री ने क्या कहा, यह सरकार के बिजनेस कैटेगरी में नहीं आती. एग्जीक्यूटिव क्या करते हैं यह गवर्नमेंट बिज़नेस का हिस्सा है.
इसके बाद उन्होंने भारत सरकार की सूची में मौजूदा “गवर्नमेंट बिज़नेस” के बारे में कोर्ट को बताया. इसके बाद जस्टिस पटेल ने पूछा कि फैक्ट चेक यूनिट की ओर से फेक, गलत या मिस लीडिंग करार दिए गए कंटेंट को अगर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म नहीं हटाते हैं तो क्या होगा? इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि कुछ नहीं होगा, तब तक जब तक की विक्टिम इस बाबत कोर्ट का दरवाजा ना खटखटाए. इस मामले में कोर्ट का आदेश ही अंतिम होगा.
सुनवाई जारी
इसके बाद जस्टिस पटेल ने कहा, “तुषार मेहता साहब आप सरकार में अपने अधिकारियों से इस बारे में एक बार फिर परामर्श कीजिए और इस बारे में स्थिति स्पष्ट कीजिए कि फैक्ट चेक यूनिट जिन चीजों को गलत, भ्रामक या फर्जी करार दे, उन्हें अपने प्लेटफार्म से हटाने की बाध्यता सोशल मीडिया की नहीं है.” इस मामले में आज बुधवार (27 सितंबर ) को भी सुनवाई होनी है.