डेढ़ दशक बाद देखने को मिल रहा है बिना वेव का चुनाव

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डेढ़ दशक बाद देखने को मिल रहा है बिना वेव का चुनाव
डेढ़ दशक बाद देखने को मिल रहा है बिना वेव का चुनाव

डेढ़ दशक बाद देखने को मिल रहा है बिना वेव का चुनाव

* गलत साबित हो सकते हैं सभी अनुमान

– अश्वनी भारद्वाज –

नई दिल्ली ,जी हाँ आप सही समझे आज हम चर्चा करने जा रहे हैं राजधानी दिल्ली में होने वाले कल लोकसभा चुनावों के बारे में | वैसे तो हमने पिछले सप्ताह ही ईशारा कर दिया था कि इस बार लोकसभा चुनावो से मोदी मैजिक गायब है | लेकिन मोदी मैजिक के गायब होने का मतलब यह बिलकुल नहीं निकाला जा सकता कि चुनावी परिद्रश्य से मोदी बिलकुल ही गायब है या कोई और जादू चलने वाला है | यह बात सोलह आने ठीक है पिछले दो चुनावो की तरह मोदी मैजिक लोगो के सर चढ़ कर नहीं बोल रहा लेकिन यह भी सत्य है कोई और मैजिक भी चलता नहीं दिख रहा | जिस तरह से डेढ़ दशक पहले विधानसभा चुनव हो या लोकसभा चुनाव शीला दीक्षित का मैजिक लोगो के सर चढकर बोलता था वो दम आज की कांग्रेस में गठ्बन्धन के बावजूद भी नहीं दिख रहा | और पिछले दो विधानसभा चुनावों में जो लहर अरविन्द केजरीवाल की झाड़ू की देखने को मिली थी वह भी रफ्तार नहीं पकडती दिखी |

समझ गए ना आप आमने -सामने की टक्कर है ना तुम कम और ना हम ज्यादा, यानी सभी सातों सीटों पर कोई बड़ा फैक्टर काम करता नजर नहीं आ रहा | अलबत्ता भाजपा नें छह प्रत्याशी बदल एंटी क्म्बेंसी जरुर कंट्रोल की है | लेकिन भाजपा प्रत्याशियों को सबसे बड़ा खतरा भीतरघात का सता रहा है | और यह काम उत्तर पूर्वी दिल्ली में तो लाख प्रयासों के बाद भी नही थमा | हमारे भाजपा में अनेक मित्र ऐसे हैं जो रिन्किया के पापा को निपटाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं | हालंकि उनके अरमान आंसुओं में बहने तय है क्योंकि जितना नुकसान वे मनोज भैया का कर रहे हैं उससे ज्यादा फायदा उनका लवली के लवली, समझ गए ना आप कांग्रेस में अरविन्द्र लवली के बैठे समर्थक खुलकर बैटिंग कर रहे हैं |

लवली नें करीब तीन सौ लोग इसी काम पर लगाये हुए हैं ,रही बात कन्हैया बाबू की कांग्रेस के मठाधीशों नें उन्हें निपटाने के अलावा कुछ और किया
ही नहीं | अलबत्ता झाड़ू वालों नें उन्हें जरुर संभाल रखा है , इसकी चर्चा हम बाद में करेंगें | फ़िलहाल तो हम इतना ही कहना चाहते हैं भाजपा जहां संगठनात्मक रूप से मजबूती से चुनाव लड़ी तो गठ्बन्धन केवल उमीदों के सहारे मैदान में टिका रहा | कुल मिलाकर चार सीटों पर मुकाबला दिलचस्प है जबकि तीन सीटों पर भाजपा बाजी मारती साफ़ दिख रही है | आज बस इतना ही …

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