JDU के इस स्टैंड ने BJP को फिर किया असहज! क्या मोदी सरकार को झटका देंगे CM नीतीश कुमार
लेटरल एंट्री से लेकर अलग-अलग मुद्दों पर जेडीयू ने कई बयान दिए हैं जिससे चर्चा होती रही है. अब विपक्षी नेताओं के साथ फिलिस्तीन के नेता से केसी त्यागी की मुलाकात को लेकर चर्चा हो रही है.
2024 में हुए लोकसभा चुनाव में एनडीए की जीत के बाद नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) तीसरी बार तो प्रधानमंत्री बन गए, लेकिन 2014 के मुकाबले 2024 के अब तक के कार्यकाल को देखें तो ऐसा लग रहा कि मोदी सरकार (Modi Government) असहज महसूस कर रही है. इसका बड़ा कारण यह माना जा रहा कि इस बार भारतीय जनता पार्टी अकेले बहुमत में नहीं है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) की पार्टी जेडीयू 12 सीट और और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की पार्टी टीडीपी की भी केंद्र सरकार में अहम भूमिका है. इस बीच जेडीयू के कई बयान से बीजेपी की असहजता दिखी है. एक बार फिर जेडीयू के स्टैंड ने टेंशन को बढ़ा दिया है.
विपक्षी नेताओं के साथ फिलिस्तीन के नेता से मिले केसी त्यागी
दरअसल पिछले साल अक्टूबर महीने से ही इजरायल और हमास के बीच युद्ध चल रहा है. इसमें फिलिस्तीन शहर गाजा तबाह हो चुका है. इस युद्ध से लेबनान और ईरान भी प्रभावित हुए हो रहे हैं. भारत इजरायल को गोला बारूद सप्लाई करता है. अब उस पर रोक लगाने के लिए बीते रविवार (25 अगस्त) को दिल्ली में फिलिस्तीन नेता मोहम्मद मकरम बलावी से विपक्षी सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात की. इसमें कांग्रेस से लेकर समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी के सांसद शामिल थे. सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि इस बैठक में केंद्र सरकार में शामिल जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी भी साथ रहे. बैठक में हुए हस्ताक्षर में केसी त्यागी का भी हस्ताक्षर है. विपक्षी सांसदों ने मांग की कि भारत सरकार इजरायल को हो रही गोला-बारूद की आपूर्ति पर रोक लगाए. ऐसे में केसी त्यागी का स्टैंड किसी झटके से कम नहीं है.
हालांकि यह नया मामला नहीं है. कुछ दिन पूर्व यूपीएससी ने 45 पदों पर लेटरल एंट्री के जरिए भर्ती का नोटिफिकेशन जारी किया था. इसको लेकर एक तरफ जहां विपक्ष विरोध कर रहा था तो वहीं सत्ता पक्ष में शामिल पार्टियां भी विरोध कर रही थीं. इसके बाद इस निर्णय को वापस लेना पड़ा था. जेडीयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने कहा था, “वे लेटरल एंट्री के विज्ञापन का दुरुपयोग करेंगे, इससे राहुल गांधी पिछड़ों के चैंपियन बन जाएंगे.”
इतना ही नहीं बल्कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से आरक्षण में क्रीमी लेयर के आदेश के बाद विपक्ष ने जहां हंगामा किया तो सत्ता पक्ष में शामिल गठबंधन के नेताओं ने भी इसका जमकर विरोध किया. यह पहला मौका था जब ऐसे मामलों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आगे आना पड़ा था.
वक्फ बोर्ड संशोधन बिल पर भी एनडीए के सहयोगी दल जेडीयू में एक मत नहीं है. केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने भले इसका स्वागत किया लेकिन दूसरी ओर पार्टी के मुस्लिम नेता ने इसका विरोध शुरू कर दिया था. जेडीयू एमएलसी गुलाम गौस ने कहा था कि बीजेपी सरकार हमेशा मुस्लिमों के खिलाफ ही काम करती है. इस बिल के जरिए वक्फ बोर्ड की जमीन को छीनने का प्रयास किया जा रहा है. ऐसे में इस तरह के कई ऐसे मामले हैं जिस पर जेडीयू के अलग-अलग नेताओं ने कई बयान देकर बीजेपी को असहज किया है. बीते 2-3 महीनों में केंद्र की सरकार को दो मामलों में बैक फुट पर आना पड़ा. इससे सियासी गलियारों में चर्चा है कि कहीं न कहीं मोदी सरकार गठबंधन के साथ असहज महसूस कर रही है.