जो लोग मर चुके उनके नाम वोटर लिस्ट से नहीं कटे जो जिन्दा है बड़ी संख्या में उनके नाम हैं गायब : मुकेश बंसल

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जो लोग मर चुके उनके नाम वोटर लिस्ट से नहीं कटे जो जिन्दा है बड़ी संख्या में उनके नाम हैं गायब : मुकेश बंसल
जो लोग मर चुके उनके नाम वोटर लिस्ट से नहीं कटे जो जिन्दा है बड़ी संख्या में उनके नाम हैं गायब : मुकेश बंसल

जो लोग मर चुके उनके नाम वोटर लिस्ट से नहीं कटे जो जिन्दा है बड़ी संख्या में उनके नाम हैं गायब : मुकेश बंसल

* बड़ी संख्या में की लोगो नें शिकायत

– शिवा कौशिक –

नई दिल्ली ,क्या ऐसा संभव है कि वोट बनने के बाद एक ही परिवार के कुछ सदस्यों की वोट रहती है लेकिन उसी परिवार के अन्य कुछ सदस्यों की वो डिलीट हो जाती है, आप का जवाब होगा नहीं लेकिन कर्दमपुरी वार्ड के निगम पार्षद मुकेश बंसल का जवाब है हां। जब हमनें मुकेश बंसल से उनकी इसी हां का कारण पूछा तो मुकेश बंसल ने बताया की इससे पहले भी ऐसा हुआ था और अब लोकसभा चुनावों में भी ऐसा हुआ है कि जब एक ही घर के सभी सदस्य जिनका वोट बना हुआ है मतदान केंद्रों पर वोट देने पहुंचे तो उन्हें बताया गया कि कुछ सदस्यों का वोट है और उसी परिवार के अन्य कुछ सदस्यों का वोट नहीं है जो एक ही पते पर रह रहे है। मुकेश बंसल ने आगे सवाल पूछते हुए कहा की बताइए यह कैसे संभव है?

मुकेश बंसल ने आगे कहा की सबसे बड़ी विडंबना देखिए की जिन की मृत्यु हो गई है उनका वोट तो है लेकिन जो व्यक्ति साक्षात् वोट देने के लिए मतदान केंद्र पर खड़ा है उसका वोट ही डिलीट हो गया है। मुकेश बंसल ने आगे कहा की मैं प्रशासन से इस बात का जवाब मांगता हूं की आखिर किस आधार पर लोगों की वोट को डिलीट किया गया? किस आधार पर जनता को उनके मत देने के संवैधानिक अधिकार से वंचित किया गया ? मुकेश बंसल ने आगे कहा की क्या यह प्रशासन और दिल्ली सरकार की कोई मिलीभगत तो नहीं है ताकि चुनाव में अधिक मतदान न हो? मुकेश बंसल ने आगे कहा की मैंने इस संदर्भ में मुहिम चलाई है और दो दिन के अंदर अंदर मेरे पास 100 लोगों का आंकड़ा भी आ गया है जिनका वोट बिना किसी कारण के डिलीट कर दिया गया है। मुकेश बंसल ने आगे कहा की जब मैंने इस संदर्भ में बीएलओ से सवाल किए तो मेरे सवालों का उनके पास कोई उत्तर नहीं था। मुकेश बंसल ने आगे बताया की मैंने इसी संदर्भ में नीचे से लेकर उच्च अधिकारियों तक से बात करी है और जब तक मुझे जनता के साथ हुए इस अन्याय का जवाब नहीं मिल जाता मैं चुप नहीं रहूंगा चाहे इसके लिए मुझे कानूनी लड़ाई ही क्यों न लड़नी पड़े।

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