प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी में काशी के तमिल संगमम् कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इस दौरान पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि काशी तमिल संगमम अपने आप में विशेष है। उन्होंने कहा कि काशी विश्व का सबसे प्राचीन शहर है। काशी और तमिलनाडु के विद्वानों का अभिनंदन करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि काशी और दक्षिण में तमिलनाडु के सांस्कृतिक सहअस्तित्व और उसके महत्व को रेखांकित किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे देश में सुबह उठ कर सौराष्ट्रे सोमनाथम से लेकर 12 ज्योतिर्लिंग के स्मरण की परंपरा है। हम स्नान करते समय गंगे! च यमुने! चैव गोदावरी! सरस्वति! नर्मदे! सिंधु! यानी देश की सभी नदियों का स्मरण करते हुए मंत्र पढ़ते हैं। यानी हम पूरे भारत की पुण्य नदियों में नहाने का भाव रखते हैं। हमें आजादी के बाद इस देश की विरासत को मजबूत करना था। लेकिन, दुर्भाग्य से इसके लिए प्रयास नहीं किए गए। काशी-तमिल संगमम् हमें अपनी विरासत को सहेज कर रखने और सांस्कृतिक एकता को मजबूत बनाए रखने के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। भारत का स्वरूप क्या है। विष्णु पुराण के एक श्लोक के अनुसार, भारत वो हिमालय से हिंद महासागर तक की सभी विविधताओं को समेटे हुए है और उसकी हर संतान भारतीय है।
भारत की प्राचीनता का केंद्र बिंदु तमिलनाडु की संस्कृति है
प्रधानमंत्री ने भाषण की शुरुआत हर-हर महादेव… वणक्कम काशी…. वणक्कम तमिलनाडु से की। उन्होंने कहा कि आज हमारे सामने एक ओर पूरे भारत को अपने आप में समेटे हमारी अपनी सांस्कृतिक राजधानी काशी है। दूसरी ओर भारत की प्राचीनता की केंद्र बिंदु तमिलनाडु की संस्कृति है। यह संगम गंगा और यमुना के संगम के जैसे ही पुण्य है। मैं काशी और तमिलनाडु के सभी लोगों के साथ ही देश के शिक्षा मंत्रालय और उत्तर प्रदेश सरकार को इस आयोजन के लिए बधाई देता हूं। इसमें बीएचयू और आईआईटी मद्रास जैसे शिक्षा संस्थान भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। काशी और तमिलनाडु के विद्वान इस आयोजन के लिए विशेष रूप से बधाई के पात्र है। हमारे यहां ऋषियों ने कहा है कि एक ही चेतना अलग-अलग रूपों में प्रकट होती है। काशी और तमिलनाडु के संदर्भ में हम इस फिलॉसफी को देख सकते हैं। काशी और तमिलनाडु दोनों ही सभ्यता और संस्कृति के केंद्र बिंदु हैं। दोनों ही विश्व की पुरातन भाषा संस्कृत और तमिल के केंद्र हैं। काशी में बाबा विश्वनाथ हैं तो तमिलनाडु में भगवान रामेश्वरम का आशीर्वाद है। काशी और तमिलनाडु दोनों ही जगह शिव और शक्ति हैं। काशी और तमिलनाडु दोनों संगीत, साहित्य और कला के स्त्रोत है। काशी में बनारसी साड़ी मिलेगी तो कांचीपुरम का सिल्क पूरे विश्व में मशहूर है।
तमिल विवाह परंपरा में काशी यात्रा का जिक्र
तमिलनाडु संत तिरुवल्लुवर की पुण्य धरती है। दोनों ही जगह ऊर्जा और ज्ञान कें केंद्र हैं। आज भी तमिल विवाह परंपरा में काशी यात्रा का जिक्र होता है। यह तमिलनाडु के दिलों में अविनाशी काशी के प्रति प्रेम है। यही एक भारत श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना है जो प्राचीन काल से अब तक अनवरत बरकरार है।