ज्ञानवापी मामले में फ़िलहाल शिवलिंग को रखा जाएगा संरक्षित, सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश

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सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में स्थित ‘शिवलिंग’ को सील रखने का अपना आदेश बरकरार रखने को कहा है। शीर्ष अदालत ने साथ ही संबंधित पक्ष को इस मामले में जवाब दाखिल करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया है। अदालत ने साथ ही अगले आदेश तक उस क्षेत्र की सुरक्षा बढ़ाने को भी कहा है। इसके साथ ही पीठ ने हिंदू पक्षों को एक सर्वेक्षण आयुक्त की नियुक्ति पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद की प्रबंधन समिति द्वारा दायर अपील पर तीन सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने का भी निर्देश दिया। 7 मई को सुप्रीम कोर्ट ने एक अंतरिम आदेश द्वारा उस क्षेत्र की रक्षा करने का निर्देश दिया जहां ‘शिवलिंग’ पाया गया था और नमाज के लिए मुसलमानों तक पहुंच प्रदान की गई थी। आज वाराणसी के ज्ञानवापी मामले का अहम दिन रहा। ज्ञानवापी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए अगले आदेश तक शिवलिगं का संरक्षण जारी रखने का आदेश सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि शिवलिंग को कोई नहीं छुएगा।

साल 1991 का विवाद ज्ञानवापी मस्जिद के अस्तित्व पर सवाल खड़े करता है। दरअसल 1991 में कोर्ट में एक केस दर्ज हुआ था, जिसमें ये दावा किया गया था कि जिस जगह पर ज्ञानवापी मस्जिद बनी है, वो काशी विश्वनाथ की जमीन है और इस जगह पर छोटे-छोटे मंदिरों को तोड़कर मस्जिद बनाई गई है। इस मामले में हिंदू पक्ष ने ये अपील की थी कि आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया से जांच करवाई जाए। हालांकि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 9 सितंबर 2021 को इस केस में ASI के सर्वेक्षण पर रोक लगा दी। हालांकि जिस जमीन पर मस्जिद बनी है, उसको लेकर एक और मामला कोर्ट में है। वाराणसी के व्यास परिवार का दावा है कि इस जमीन पर उनका मालिकाना हक है और बीते 150 सालों से उनका परिवार इस जमीन पर मालिकाना हक की लड़ाई कोर्ट में लड़ रहा है।

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