सुप्रीम कोर्ट में मणिपुर की स्थिति रिपोर्ट, दो महीने में हिंसा की 4694 एफआईआर दर्ज, हत्या के 72 मामले
देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट में मणिपुर की एक स्टेटस रिपोर्ट ने वहां की खौफनाक तस्वीर सामने रखी है। 6523 एफआईआर वाली इस रिपोर्ट में हिंसा के 4694 मामले हैं.
इन दिनों हर किसी की जुबान पर मणिपुर किसी न किसी रूप में छाया हुआ है। हर जगह भारत के इस पूर्वोत्तर राज्य की चर्चा होती है। मणिपुर सरकार के सामने एक कठिन सवाल बनकर खड़ा है। लेकिन पिछले दिनों देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट में मणिपुर को लेकर दाखिल की गई एक स्टेटस रिपोर्ट ने कई चौंकाने वाले खुलासे कर सभी को चौंका दिया है.
मणिपुर प्रशासन की ओर से हिंसा और संबंधित अपराधों का विवरण सुप्रीम कोर्ट ने चौंका दिया है। राज्य की रिपोर्ट बताती है कि मणिपुर में हिंसा से जुड़ी एफआईआर की संख्या 6523 है और हत्या की केवल 72 एफआईआर हैं। मगर महिला की शील भंग जैसे संगीन धाराओं में दर्ज मामलों की संख्या 6 बताई गई है। सुप्रीम कोर्ट के सामने रखी गई इस स्टेटस रिपोर्ट के मुताबिक, मणिपुर में गैंग रेप और हत्या का सिर्फ एक मामला सामने आया है।
घरों को नुकसान पहुंचाने पर 4694 एफआईआर
इसके अलावा पूजा स्थलों को नष्ट करने के 46 मामले सामने आ रहे हैं। जबकि आगजनी एवं विस्फोटक सामग्री का प्रयोग कर आगजनी करने वालों की संख्या सर्वाधिक 4454 है। लूट और डकैती के 4148 मामले भी सामने आए हैं। घरों को नुकसान पहुंचाने की घटनाएं 4694 दर्ज की गई हैं, जो सबसे ज्यादा है। इसके अलावा सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की घटनाएं 584 बताई गई हैं। केवल 100 गंभीर चोट के मामले सामने आए।
राज्य में एसआईटी बनाने की जरूरत है
राज्य की रिपोर्ट में मणिपुर प्रशासन की ओर से कहा गया है कि राज्य में एसआईटी बनाने की जरूरत है। इसके साथ ही मणिपुर पुलिस ने एसआईटी गठित करने के लिए एक संभावित टीम का भी प्रस्ताव दिया है। सुप्रीम कोर्ट को दिए गए प्रस्ताव में कहा गया है कि जिस एसआईटी टीम का गठन किया जाएगा, उस एसआईटी टीम में एसपी रैंक से नीचे के अधिकारी को भी जिम्मेदारी दी जानी चाहिए.
साप्ताहिक समीक्षा होगी
स्थिति रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चुलचांदपुर, कांगपोकपी, इंफाल पश्चिम, इंफाल पूर्व, विष्णुपुर और काकचिंग जिलों के लिए ये और ऐसी कम से कम 6 एसआईटी होंगी, जबकि थौबल और तेंगनौपाल जिले के लिए तीन एसआईटी की आवश्यकता होगी।
इन एसआईटी के काम की साप्ताहिक आधार पर निगरानी की जाएगी जिसकी समीक्षा DIG या IG या ADG रैंक के अधिकारी करेंगे। जबकि डीजीपी हर 15 दिन में इन सभी मामलों की मॉनिटरिंग करेंगे.