दिल्ली के मंत्री सौरभ भारद्वाज का आरोप- ‘कुछ अधिकारी बंद करना चाहते हैं फरिश्ते योजना’
दिल्ली के फऱिश्ते स्कीम के तहत उन्हें पुरस्कृत किया जाता है जो दुर्घटना में घायल लोगों को अस्पताल पहुंचाते हैं. दिल्ली के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने इस योजना को लेकर बड़ी बात कही है.
स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज (Saurabh Bhardwaj) ने शुक्रवार को सचिवालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस दौरान उन्होंने कुछ अधिकारियों पर दिल्ली सरकार द्वारा साल 2018 में लॉन्च की गई ‘फरिश्ते योजना’ (Farishte Scheme) को बंद करने का आरोप लगाया. स्वास्थ मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि फरिश्ते स्कीम के तहत जो कोई भी सड़क दुर्घटना के शिकार व्यक्ति को इलाज के लिए अस्पताल ले आएगा उसे सम्मानित किए जाने का प्रावधान है, इस योजना के तहत उस व्यक्ति को 2000 का इनाम भी दिया जाएगा. जबकि दिल्ली पुलिस इसमें कोई पूछताछ भी नहीं करेगी.
दुर्घटना के शिकार को अस्पताल ले जाने वाले व्यक्ति की अधिकारी तब तक निगरानी करते हैं जब तक वह पीड़ित का प्रत्यक्षदर्शी नहीं बनना चाहता. उन्होंने आगे बताया कि इस योजना के तहत अब तक लगभग 23000 लोगों की जान बचाई जा चुकी है और उनका मुफ्त इलाज हो चुका है. दिल्ली सरकार सड़क दुर्घटना के शिकार हुए पीड़ितों के इलाज का खर्चा वहन भी करती है. भारद्वाज ने कहा, ”मदद करने वालों को प्रोत्साहन दिया जाता है लेकिन पता नहीं इस योजना को किस तरह से विभाग के बड़े अधिकारी पलीता लगा रहे हैं.”
अस्पतालों में नहीं हुआ है पेमेंट- भारद्वाज
दिल्ली स्वास्थ्य विभाग के जनरल सेक्रेटरी आईएएस अधिकारी डॉक्टर दीपक कुमार और अधिकारी नूतन मुंडेजा पर गंभीर आरोप लगाए हैं. सौरभ भारद्वाज ने कहा कि एक योजना के तहत फरिश्ते स्कीम को यह अधिकारी बंद करना चाहते हैं पिछले डेढ़ साल से जिन अस्पतालों में इस योजना के तहत दुर्घटना के शिकार हुए लोगों का इलाज हुआ है उन अस्पतालों को पेमेंट नहीं किया गया है.
सोची-समझी साजिश के तहत बंद कर रहे योजना- भारद्वाज
भारद्वाज ने कहा कि हमने कई बार मीटिंग की है तो उसमें हमें कुछ साफ-साफ नहीं बताया गया है लेकिन अब इस बात की हमें जानकारी लगी है आखिर ऐसे अधिकारियों के साथ क्या किया जाए? आखिर क्यों यह जनता के दुश्मन बने हुए हैं ? जब दिल्ली सरकार की तरफ से इस स्कीम को लॉन्च किया गया था तो फिर यह अधिकारी इसे बंद क्यों करना चाहते हैं? एक सोची-समझी साजिश के तहत इस योजना को बड़े और वरिष्ठ अधिकारी बंद करना चाहते हैं.