कन्हैया का नाम सुनते ही भाजपा ने बांटे लड्डू ,कांग्रेस वर्करों में छाई मायूसी

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कन्हैया का नाम सुनते ही भाजपा ने बांटे लड्डू ,कांग्रेस वर्करों में छाई मायूसी
कन्हैया का नाम सुनते ही भाजपा ने बांटे लड्डू ,कांग्रेस वर्करों में छाई मायूसी

कन्हैया का नाम सुनते ही भाजपा ने बांटे लड्डू ,कांग्रेस वर्करों में छाई मायूसी

* कांग्रेस ही नहीं गठबंधन को भी भारी पड़ सकता है सातों सीटों पर यह नाम

-अश्वनी भारद्वाज –

नई दिल्ली ,हैडलाइन पढकर आप समझ रहे होंगे अभी तो लोकसभा चुनाव परिणाम भी नहीं आए फिर भाजपा ने लड्डू क्यों बांटने शुरू कर दिए | दरअसल हमने करीब एक माह पूर्व एक आर्टिकल लिखा था कन्हैया की एंट्री से बिगड़ सकते हैं कांग्रेस की टिकिटो के समीकरण | उस दिन हमारे पास कांग्रेस और भाजपा के कई बड़े नेताओं के फोन आये | कांग्रेस वाले कह रहे है इसे कहाँ से ले आये | तो भाजपा वाले कह रहे थे लडवा दो पंडित जी मजा आ जाएगा | दो दिन पहले कुछ खबरिया चैनलों नें भी यह खबर चला दी मनोज तिवारी के सामने लड़ेगें कन्हैया | और खबर व्ट्स अप युनिवर्सटी पर जमकर वायरल हो गई | फिर तो बंटने ही थे भाजपा में लड्डू |

दरसल भाजपा कन्हैया को बेहद हल्का और थका हुआ चेहरा मानती है | भाजपा का मानना है कन्हैया से कमजोर चेहरा दिल्ली की सियासत में और कोई हो ही नहीं सकता | आखिर कौन है ये कन्हैया | कन्हैया कुमार पर देश विरोधी प्रवृत्ति के आरोप लगे थे जिसके कारण वह काफ़ी विवाद में रहा। 9 फरवरी 2016 को जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में कन्हैया कुमार की अगवानी में ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’ और ‘अफ़ज़ल हम शर्मिंदा हैं, तेरे कातिल जिंदा हैं’ के नारे लगाने के आरोप लगे थे मीडिया द्वारा दिखाये गए वीडियो को कांट छांट कर फैलाया गया जिस कारण पुलिस द्वारा न्यायालय में उचित सबूतों के अभाव में उन्हें छोड़ दिया गया । कन्हैया के विरुद्ध राजद्रोह का गुनाह भी दाखिल किया गया था । अब समझ गए ना आप क्यों बांटे भाजपा नें लड्डू | यदि ऐसा होता है तो भाजपा को थाली में परोसकर यह सीट जाने से कोई रोक नहीं सकता | और इतना ही नहीं एक अकेला सब पर भारी के तर्ज पर यह मुद्दा दिल्ली की हर गली तक पहुंच जाएगा कांग्रेस तो छोड़ो कहीं गठ्बन्धन ही ना डूब जाए और सातों सीटो पर इसका प्रभाव ना पड़ जाए इस सम्भावना से इनकार नहीं किया जा सकता | इसमें कोई दो राय नही कन्हैया एक अच्छा वक्ता है लेकिन लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए वक्ता होना ही जरूरी नहीं है | दिल्ली की जनता भाषणों की भूखी नहीं है भाषण तो मोदी जी भी विधानसभा चुनावों में दिल्ली में देते रहे हैं | जहां तक कांग्रेस वर्करों की मायूसी का सवाल है गठ्बन्धन के बाद उनमें उम्मीद जगी थी शायद हम कुछ सीटें जीत सकते हैं लेकिन कन्हैया का नाम आते ही कार्यकर्ताओं में मायूसी छा गई है | विरोध का आलम यह है की कन्हैया को पोलिंग एजेंट तक मिलने आसान नहीं होंगे | और पार्टी वर्कर चांदनी चौक की तरफ मूव कर जाएगा |

कांग्रेस के पास संदीप दीक्षित,अरविन्दर सिंह लवली,अनिल चौधरी जैसे मजबूत चेहरे हैं जो जीत दर्ज कर सकते हैं | स्थानीय चेहरों में भीष्म शर्मा,आदेश भारद्वाज भी कम से कम मजबूती से तो चुनाव लड़ ही सकते हैं और कन्हैया से ज्यादा वोट ला सकते है | कांग्रेस के बुजुर्ग नेता मांगे राम भारद्वाज का कहना था कन्हैया से ज्यादा वोट तो मैं ही ले सकता हूँ फिर कांग्रेस यह सीट दान में क्यों देने पर तुली है | आज बस इतना ही …

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