न्याय यात्रा से दिल्ली कांग्रेस कार्यकर्ताओं में आया करंट

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न्याय यात्रा
न्याय यात्रा से दिल्ली कांग्रेस कार्यकर्ताओं में आया करंट

न्याय यात्रा से दिल्ली कांग्रेस कार्यकर्ताओं में आया करंट

* जमीनी कार्यकर्ताओं की भी हुई पहचान

– अश्वनी भारद्वाज –

नई दिल्ली , राहुल गांधी की तर्ज पर दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष देवेन्द्र यादव पिछले ग्यारह दिनों से अपना घर बार छोड़ दिल्ली की सडकों पर हैं | दिन भर पैदल घूमते हुए तीन -तीन विधानसभाओं में कांग्रेस का झंडा उठा पार्टी की मजबूती के लिए संघर्ष कर रहे है | संघर्ष का फायदा मिलेगा या नहीं यह तो हम नहीं कह सकते लेकिन हमने यह जरुर सुना है संघर्ष ही सफलता की कुंजी है | यानी कोई मुकाम हांसिल करना है संघर्ष तो करना ही पड़ेगा | भाजपा को दिल्ली की सत्ता से हटाने के लिए शीला दीक्षित नें भी सडकों पर उतर बिगुल बजाया था और ऐसा बिगुल बजाया कि ढाई दशक बाद भी भाजपा सता की प्यासी है |

समझ गए ना आप वो शीला जी के संघर्ष का ही परिणाम था कि उन्होंने पन्द्रह साल सत्ता सुख प्राप्त किया | माना आज हालात वो नहीं है लेकिन शीला जी के जाने के बाद कांग्रेस के किसी बड़े नेता नें संघर्ष भी तो नहीं किया ,और छोटों को पड़ी ही क्या थी | कांग्रेस के वर्कर को जगाने की जरूरत होती है और जब वह जाग जाता है तो उसकी मेहनत का परिणाम आता है |

इंद्रा जी की सत्ता वापसी इसकी जीती जागती मिसाल है | बात हमने देवेन्द्र यादव से शुरू की थी वहीं लौटते है निश्चित रूप से देवेन्द्र का यह साहसिक निर्णय है | धरातल में समा चुकी पार्टी को खड़ा करने का उनका निर्णय कांग्रेस के लिए दिल्ली में संजीवनी का काम करेगा | हम यह नहीं कहते कि कांग्रेस की आंधी आ जायेगी लेकिन उनके प्रयास नें दिल्ली कांग्रेस वर्करों में एक नया जोश भर दिया है | अब जरूरत इस जोश को चुनावों तक बरकरार रखने की है लेकिन वह तभी सम्भव होगा जब हवाबाजों को छोड़ जमीनी लोगो को प्रत्याशी बनाया जाएगा | और देवेन्द्र यादव इस अग्नि परीक्षा में खरे उतरे तो उनका संघर्ष भी परिणाम दिखायेगा अन्यथा यह तपस्या केवल तपस्या ही रह जायेगी इस सम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकता। रही हवाबाजों और जमीनी कार्यकर्ताओं की पहचान की देवेन्द्र खुद जमीनी कार्यकर्ता से नेता बनें हैं यह जरुर है सियासत उन्हें अपने पिता से विरासत में मिली है लेकिन अपनी मेहनत से वे इस मुकाम तक पहुंचे है ,लिहाजा उन्हे कोई गुमराह नहीं कर सकता |

वे जमीन पर चल रहे हैं खुद देख रहे हैं न्याय यात्रा में किस स्थानीय नेता में कितना दम है | किसके पीछे कितनी फालोइंग है ,किस ब्लाक अध्यक्ष नें क्या किया कितनी मेहनत की या आँखों में धूल झोकने का काम किया ये सब अब उनसे छिपा नहीं है | समझ गए ना आप इस न्याय यात्रा से जमीनी कार्यकर्ताओं तथा हवाबाजों की पहचान भी हुई है | दिल्ली की गलियों की खाक छान समस्याओं का भी पता चला है ,जहां विपक्ष पर दबाव बना है वहीं अपने सन्गठन की कमजोरियां भी पता चली है | इसे कहते हैं एक तीर से कई निशाने | न्याय यात्रा यदि जिला तथा विधानसभा स्तर पर भी शुरू की जाएँ तो यह माहौल और बनेगा लेकिन उसके लिए जमीन से जुड़े लोगो को सन्गठन से जोड़ना पड़ेगा | आज बस इतना ही …

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