भारत में बढ़ी महिलाओं की संख्‍या

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देश में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की आबादी में बढ़ोतरी हुई है। यह बात नेशनल फैमिली हेल्‍थ सर्वे के पांचवें राउंड में सामने आई है। इसके मुताबिक देश में इस समय 1000 पुरुषों के मुकाबले 1020 महिलाएं हैं। इन आंकड़ों को स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय की राज्‍य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने लोकसभा में लिखित रूप से एक सवाल के जवाब में पेश किए हैं।

राज्‍य मंत्री भारती प्रवीण पवार का इस मामले में कहना है कि शिशु लिंगानुपात में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत काफी सुधार हुआ है। उन्‍होंने कहा, ‘इस योजना के तहत पूरे देश में जागरूकता अभियान चलाए गए. उनका कहना है कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना का मकसद गिरते शिशु लिंगानुपात को सुधारना है। इसके साथ ही लड़कियों और महिलाओं की लाइफ साइकल से संबंधित मुद्दों पर उन्‍हें सशक्‍त करना भी इसका मकसद है।

बता दें कि 2011 की जनगणना में भारत में 1000 पुरुषों की तुलना में 943 महिलाएं थीं. नेशनल फैमिली हेल्‍थ सर्वे के तहत देश के करीब 6 लाख परिवारों का सर्वेक्षण किया गया था। देश के जनगणना विभाग की ओर से साल 2013 से 2017 तक के अनुमान के अनुसार भारत में औरतों की जन्‍म के समय जीवन प्रत्‍याशा 70.4 साल है। वहीं पुरुषों की जन्‍म के समय जीवन प्रत्‍याशा 67.8 साल है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सरकार की ओर से पेश जानकारी में कहा गया है कि सर्वेक्षणों में पाया गया है कि जन्‍म के समय जीवन प्रत्‍याशा दर 2014-2016 में प्रति एक लाख बच्‍चों में 130 माताओं की मौतों के आंकड़ों से घटकर 2016-18 में 113 पर आ गई।

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