अब कैग आडिट की बात क्यों नहीं करते अरविन्द केजरीवाल : संजय गौड़
नई दिल्ली ( सी.पी.एन.न्यूज़ ) : आज से एक दशक पहले अपने हाथों में बिजली के बिल और मोटे-मोटे कागज के बंडल ले मंच पर खड़े हो शीला दीक्षित सरकार पर बिजली कंपनियों से संथ घाट के आरोप लगाने वाले अरविन्द केजरीवाल कैग आडिट की बात किया करते और मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को जेल में डालने की बात किया करते लेकिन आज वे कैग आडिट की बात क्यों नहीं करते और शेइलाजी को कोसने वाले आज खुद जेल की सलाखों के पीछे पड़े हैं | यह कहना है बाबरपुर ब्लाक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष संजय गौड़ का |
संजय गौड़ कहते हैं चोर दरवाजे से बिजली के बिल बढ़ा दिल्ली की जनता की जेब पर डाका डालने वाले केजरीवाल को दिल्ली की जनता को जवाब देना होगा आखिर उस नारे का क्या हुआ जो उन्होंने जनता को गुमराह करने के लिए अपने पहले चुनाव में दिया था बिजली हाफ पानी माफ़ | आज आलम यह है कि बिजली के बिल पहले से भी ज्यादा आने लग गए है | पहले दो महीने में आने वाला बिल अब 28 दिन में आता है और पहले के अनुपात से भी ज्यादा आता है | रही दौ सौ युनिट की बात गिने चुने लोगों को ही मिल पा रही है | और यही आलम पानी का है या तो आता ही नहीं और आता भी है तो बिलकुल दूषित होता है जिसके पास खड़ा भी नहीं हुआ जा सकता |
संजय गौड़ नें कहा कांग्रेस सरकार के समय केजरीवाल लगातार बिजली कंपनियों का केग द्वारा ऑडिट कराने की मांग करते थे परंतु दिल्ली की सत्ता में आने के बाद एक भी उन्होंने डीईआरसी को बिजली कंपनियों का ऑडिट कराने के आदेश नही दिए। जबकि उन्होंने भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) के माध्यम से तीन निजी बिजली वितरण कंपनियों के वित्त का ऑडिट करने का वादा किया था। श्री गौड़ ने कहा कि शराब घोटाले की तरह कहीं बिजली दरों में हो रहे भ्रष्टाचार में भी तो भाजपा और आम आदमी पार्टी की मिलीभगत नहीं है। क्योंकि भाजपा ने विधानसभा सत्र बुलाकर बहस कराने की मांग तो की है लेकिन बिजली दरों में बढ़ती दरों की जांच की बात आज तक किसी भी पायदान पर नही की है।
संजय गौड़ ने कहा कि केजरीवाल भी डिस्कॉम और बिजली कम्पनियों के खातों का कैग ऑडिट कराने की जगह बिजली वितरण कंपनियों को बिजली उपभोक्ताओं से मनमाना तरीके से पीपीएसी में बढ़ोतरी करके आर्थिक बोझ डालने में सहयोगी की भूमिका निभा रहे है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के समय बिजली दर औसतन 5 रुपये प्रति यूनिट थी, जो हाफ बिल के वायदे अनुसार अब 2.50 होना चाहिए था जिसको केजरीवाल सरकार उपभोक्ताओं से औसतन 10 रुपये प्रति यूनिट वसूल रही है। केजरीवाल सरकार द्वारा बिजली कम्पनियों द्वारा खुली छूट के बाद मध्यम वर्ग, छोटे दुकानदारों, लघु उघोग, औद्योगिक इकाईयों और व्यवसायिक संस्थानों पर भारी आर्थिक बोझ पड़ रहा है।