ना तो सब कटेगें और ना सब बचेगें, उसी राह पर चली भाजपा
* चार बचे ,दो अधर में तो एक का पत्ता साफ़
– अश्वनी भारद्वाज –
नई दिल्ली ,करीब एक पखवाड़े पहले हमने इसी कालम में जिक्र किया था कटेंगे तो बटेंगे | आ गया ना याद आपको हमने जिक्र किया था भाजपा अपने सात के सात सीटिंग विधायकों को ना तो काटने वाली और ना ही रिपीट करने वाली कुछ कटेगें तो कुछ बटेगें | जिसकी शुरुवात भारतीय जनता पार्टी नें जारी अपनी पहली सूची में कर दी है | इस सूची में जहां तीन बार के विशवास नगर के विधायक ओमप्रकाश शर्मा लगातार पांचवी बार टिकिट लेने में कामयाब रहे हैं तो रोहताश नगर के विधायक जितेन्द्र महाजन भी तमाम कयासों को धत्ता बताते हुए टिकिट की हैट्रिक बनाने में कामयाब रहे | विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता का टिकिट तो पहले दिन से ही मिलना तय माना जा रहा था और वे ही इस प्रयास में लगे थे कि किसी भी सीटिंग विधायक का टिकिट नहीं कटे लेकिन ऐसा नहीं हो सका, पहली सूची में ही गांधी नगर से दो बार के जीते अनिल वाजपेयी की टिकिट को ग्रहण लग गया और उनके स्थान पर कांग्रेस से भाजपा में अपनी टीम के साथ शामिल हुए दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री अरविन्द्र सिंह लवली को प्रत्याशी बना दिया गया |
घोंडा के विधायक अजय महावर भी पहले दिन से ही अपनी टिकिट को ले आश्वस्त थे वे भी अपनी विकिट बचाने में कामयाब हो गए | इन सभी के पक्ष में केवल और केवल एक ही बात थी वह यह कि केजरीवाल की आंधी में भी ये शूरवीर साबित हुए थे और पार्टी की लाज बचाई थी | जहां तक अनिल वाजपेयी का सवाल है बदले समीकरणों के चलते ही उनके विकल्प के रूप में अरविन्द्र सिंह लवली को उतारा गया है | लेकिन करावल नगर से कई बार के विधायक मोहन सिंह बिष्ट तथा लक्ष्मी नगर से अभय वर्मा को ले अभी पार्टी असमंजस में है | यह चर्चा होनी भी स्वभाविक है यदि इन्हें रिपीट ही करना था तो पहली सूची में ही इनका नाम आ जाना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं होना कटेंगे तो बटेंगे की चर्चा को फिर गर्म कर गया | हालांकि आपको याद दिला दें हमने अपने पिछले लेख में इनके विकल्प की चर्चा की थी उसे आज हम दोहराना नहीं चाहते | लेकिन इतना जरुर कहना चाहते हैं दाल में कुछ तो काला है | इतना संकेत जरुर दे देते हैं पूर्व में एक ही पार्टी में रहे दो शसक्त दावेदार इन दोनों सीटों से सक्रिय है | आज बस इतना ही …