केजरीवाल केवल चुनावी घोषणाबाज हैं जिनकी कथनी और करनी में बहुत बड़ा अंतर है : आदेश भारद्वाज

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आदेश भारद्वाज
केजरीवाल केवल चुनावी घोषणाबाज हैं जिनकी कथनी और करनी में बहुत बड़ा अंतर है : आदेश भारद्वाज

केजरीवाल केवल चुनावी घोषणाबाज हैं जिनकी कथनी और करनी में बहुत बड़ा अंतर है : आदेश भारद्वाज

* ठप्प पड़े हैं दिल्ली के विकास कार्य

नई दिल्ली ( सी.पी.एन.न्यूज़ ) : दिल्ली चुनावों को देखते हुए सभी दल दिल्ली में चुनावी बिसात बिछाने में लगे हुए हैं। इसी के चलते आम आदमी पार्टी संयोजक केजरीवाल ने महिलाओं को 2100 रुपए, 60 वर्ष से ऊपर के नागरिकों के मुफ्त इलाज के बाद कल पुजारियों और ग्रंथियों को 18000 रुपए प्रति माह देने की घोषणा कर दी। इसी मुद्दे पर बात करते हुए करावल नगर कांग्रेस जिलाध्यक्ष आदेश भारद्वाज का कहना है कि केजरीवाल की कथनी और करनी में जमीन आसमान का अंतर है। आम आदमी पार्टी चुनाव हारने जा रही है इसीलिए इस तरह की झूठी घोषणा कर और लोगो को बहकाकर उनके वोट लें चाहती है।

महिलाओं के लिए 2100 रुपए प्रतिमाह की घोषणा की पोल उनके खुद की सरकार ने खोल दी। केजरीवाल ने इस तरह की घोषणाएं पहले भी की हैं और किसी को भी धरातल पर लागू नहीं कर पाएं। इसी तरह केजरीवाल ने मौलवियों को भी तनख्वाह लागू की थी लेकिन पिछले डेढ़ साल से ज्यादा समय से किसी को एक रुपया नहीं मिल पाया है। और अगर केजरीवाल जी की बात को मान भी लिया जाए तो फिर पादरियों, जैन धर्मगुरुओं, बौद्ध धर्मगुरुओं का क्या कसूर है कि उनको इस लाभ से वंचित किया जा रहा है। सही बात तो यह है कि लगभग साढ़े 6 सालों से राशन कार्ड बनाने का काम रुका हुआ है। बुजुर्गों को मिलने वाली पेंशन एक लंबे समय से बंद पड़ी हुई है।

अभी चुनाव को देखते हुए पिछले महीने 80,000 बुजुर्गो के रजिस्ट्रेशन करने की घोषणा की थी। अब आप हिसाब लगाइए 70 विधानसभा के हिसाब से 80,000 पेंशनधारियों का मतलब एक विधानसभा में मात्र 1142 फॉर्म स्वीकार किए जाएंगे। वहां भी पहले दिन ही दिल्ली सरकार की वेबसाइट क्रैश हो कर ठप्प हो गई। बाद में विधायक ऑफिस पर लोगो के फॉर्म तो ले लिया गए, अब देखो बुजुर्गों को इसका लाभ मिलेगा या नहीं। दिल्ली सरकार का यही हाल सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब और पिछड़े वर्ग से आने वाले स्कूली बच्चों का है। पिछले 5 वर्षों से भी ज्यादा समय से स्कूली वर्दी नहीं दे पा रहे हैं। इस सेशन की किताबें सभी बच्चों को उपलब्ध नहीं हो पाई हैं। खुद शिक्षा निदेशालय के मुताबिक सरकारी स्कूलों के 1,02193 बच्चे और 22,946 बच्चे सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों के बच्चे ऐसे हैं जिनको इस वर्ष किताबें और लेखन सामग्री नहीं मिल पाई है। दिसंबर माह आ चुका है और इस सेशन की आखिरी तिमाही आ चुकी है अब वार्षिक परीक्षा ही होना बाकी है। यही नहीं, सैंकड़ों स्कूल ऐसे हैं जहां बच्चों को बैठने के लिए डेस्क और क्लासरूम तक उपलब्ध नहीं हैं।

अस्पतालों के हालात ऐसे हैं कि अधिकतर अस्पतालों में जांच करने की मशीनें खराब पड़ी हैं क्योंकि यह मशीन 15 से 20 साल पुरानी हो चुकी हैं नतीजा मरीजों को दर दर की ठोकरें खानी पड़ रही हैं। नर्सिंग स्टाफ हो, डीटीसी कर्मी हों या फिर जल बोर्ड का स्टाफ सभी को तनख्वाह पाने के लिए हड़ताल तक करनी पड़ रही है क्योंकि उनको कई कई महीनों से तनख्वाह नहीं मिल पा रही है। लेकिन आज दिल्ली की जनता समझ चुकी है कि केजरीवाल महज चुनावी घोषणाबाज हैं। और केवल व केवल कांग्रेस ही है जो दिल्ली को संवार सकती है। इसलिए दिल्ली की जनता एक बार फिर कांग्रेस को चुनकर विधानसभा भेजेगी और कांग्रेस सरकार बनाएगी।

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