31 साल से दीपक गाबा के घर रक्षाबंधन मनाने पहुंचती है सैकड़ों महिलाएं

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31 साल से दीपक गाबा के घर रक्षाबंधन मनाने पहुंचती है सैकड़ों महिलाएं

– हर्ष भारद्वाज –

नई दिल्ली, हैडलाइन पढकर आप सोच रहे होंगे भला ऐसे कैसे हो सकता है त्यौहार के दिन इतनी बड़ी संख्या में महिलाये अपने घर का त्यौहार छोड़ कैसे किसी दूसरे के घर पहुंच कर रक्षाबन्धन जैसा पवित्र पर्व मनाने पहुंचती है | लेकिन यह सत्य है कि एक दो साल से नहीं बल्कि पूरे 31 साल से लगातार ऐसा हो रहा है | जी हाँ यह उत्सव मनाया जाता है विशवास नगर से भारतीय जनता पार्टी के विधायक रहे स्व.मदन लाल गाबा के घर | श्री गाबा के पुत्र दीपक गाबा जो कि शाहदरा जिला भाजपा के महामंत्री भी हैं नें बताया उनके स्व.पिता मदन लाल गाबा जी नें यह सिलसिला 1993 में शुरू किया था |

उस वक्त मदनलाल गाबा इस त्यौहार को मनाने के लिए अपने निर्वाचन क्षेत्र के तहत झुग्गी बस्तियों में महिलाओं के घर जाया करते लेकिन कुछ साल बाद श्री गाबा नें यह आयोजन अपने निवास स्थान पर करना शुरू कर दिया | श्री गाबा अपने घर झुग्गी बस्ती की महिलाओं को आमंत्रित कर उनसे राखी बंधवाने
के बाद तमाम मौजूद महिलाओं को उपहार देते थे और सभी के लिए खाने-पीने का इंतजाम भी किया करते | धीरे धीरे यह संख्या बढने लगी और कारवां बढ़ता गया | दीपक गाबा बताते है 19 98 में उनके पिताश्री का स्वर्गवास हो गया उसके बाद उन्होंने इस पवित्र कार्य की बागडोर सम्भाली और तभी से वे और उनके परिवार के सदस्य यह आयोजन हर रक्षाबन्धन को करते है |

दीपक गाबा कहते है सेवा बस्ती की बहनों के साथ रक्षाबन्धन मनाना ना केवल उन्हें अपितु उनके परिवार को बहुत अच्छा लगता है | वे बताते हैं इस मौके पर बहनों की इन्तजार में उनका पूरा परिवार रहता है और उनकी पसंद के भोजन की व्यवस्था की जाती है | जो कुछ हमसे बन पाता है उपहार भी दिए जाते है | दीपक गाबा कहते हैं भाई-बहन के असीम प्रेम व अटूट रिश्ते के प्रतीक रक्षाबंधन पर्व की उन्हें सावन शुरू होते ही इन्तजार होने लगती है और हर साल कुछ नया हो यह हमारा प्रयास रहता है | दीपक गाबा कहते हैं बहनों के साथ हमारा रिश्ता केवल रक्षाबन्धन के दिन ही नहीं रहता बल्कि हम साल भर बहनों की सलामती की दुआ करते हैं और सभी के सुख-दुःख में शामिल होने का प्रयास करते है | दीपक गाबा कहते हैं सभी बहने अब हमारे परिवार की हिस्सा बन चुकी है और अब हमारा परिवार लगातार बढ़ता जा रहा है |

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