ज्ञानवापी केस में कोर्ट ने हिंदू पक्ष की अर्जी को सुनवाई योग्य माना, मुस्लिम पक्ष को झटका

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ज्ञानवापी मामले में मुस्लिम पक्ष को बड़ा झटका लगा है। जिला कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज करते हुए मामले को सुनवाई योग्य माना है। इस मामले में अगली सुनवाई 2 दिसंबर को होगी। मुस्लिम पक्ष ने 7 नवंबर को इससे संबंधित याचिका दायर की थी। मुस्लिम पक्ष की तरफ से जोर देकर कहा गया था कि ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष की याचिका पर सुनवाई नहीं होनी चाहिए, लेकिन कोर्ट ने साफ कर दिया है कि इस याचिका पर सुनवाई की जा सकती है। कोर्ट के इस फैसले से मुस्लिम पक्ष को बड़ा झटका लगा है। ज्ञानवापी मस्जिद में प्रशासन ने कुछ ही लोगों को नमाज पढ़ने की अनुमति दे रखी है। ये वो लोग हैं जो हमेशा से यहां नमाज पढ़ते आए हैं। इसके अलावा यहां किसी को भी नमाज पढ़ने की अनुमति नहीं दी गयी है। ज्ञानवापी मस्जिद से सटे काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर अब नये रूप में भक्तों को लुभा रहा है।

वादिनी किरन सिंह के अधिवक्ताओं ने दलील में कहा था कि वाद सुनवाई योग्य है या नहीं, इस मुद्दे पर अंजुमन इंतजामिया की तरफ से जो आपत्ति उठाई गई है, वह साक्ष्य व ट्रायल का विषय है। ज्ञानवापी का गुंबद छोड़कर सब कुछ मंदिर का है जब ट्रायल होगा तभी पता चलेगा कि वह मस्जिद है या मंदिर। अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की तरफ से मुमताज अहमद, तौहीद खान, रईस अहमद, मिराजुद्दीन खान और एखलाक खान ने कोर्ट में प्रतिउत्तर में सवाल उठाते हुए कहा था कि एक तरफ कहा जा रहा है कि वाद देवता की तरफ से दाखिल है। वहीं दूसरी तरफ पब्लिक से जुड़े लोग भी इस वाद में शामिल हैं। यह वाद किस बात पर आधारित है, इसका कोई पेपर दाखिल नहीं किया गया है और कोई सबूत नहीं है। कहानी से कोर्ट नहीं चलती, कहानी और इतिहास में फर्क है। जो इतिहास है वही लिखा जाएगा। साथ ही कानूनी नजीरे दाखिल कर कहा था कि वाद सुनवाई योग्य नहीं है और इसे खारिज कर दिया जाए। वही सुप्रीम कोर्ट में प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट को लेकर एक याचिका दायर की गई है। वो याचिका भी ज्ञानवापी मामले से जुड़ी हुई है। उस केस में केंद्र सरकार को 12 दिसंबर तक अपना जवाब दाखिल करना होगा। उसके बाद अगले साल जनवरी में मामले की सुनवाई होगी।

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