करोड़ों खर्चने के बाद भी ध्वस्त हो चुका है दिल्ली का ड्रेनेज सिस्टम : विनोद जायस
* गलतियों से भी सबक नहीं लेती सरकार
नई दिल्ली (सी.पी.एन.न्यूज़ ) राजधानी दिल्ली का ड्रेनेज सिस्टम पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका है | आलम यह है इस सिस्टम के सुधार के लिए हर साल करोड़ो रूपये का बजट बनाया जाता है लेकिन आंकड़ो पर गौर करें तो ड्रेनेज सिस्टम पहले से भी ज्यादा खराब हो चुका है | यह कहना है उत्तर पूर्वी दिल्ली जिला भाजपा के उपाध्यक्ष ठाकुर विनोद जायस का | विनोद जायस कहते हैं यदि दिल्ली के ड्रेनेज सिस्टम की जांच सी.बी.आई.से कराई जाए तो कई भ्रष्ट अफसर हत्थे चढ़ सकते हैं |
विनोद जायस नें उपराज्यपाल से मांग की इस सिस्टम की जांच कराएं और दोषियों को सजा दिलवाए | विनोद जायस कहते हैं ड्रेनेज सिस्टम बुरी तरह से ध्वस्त हो चुका है | आलम यह है की दो तीन घंटे की बरसात में ही दिल्ली तालाब बन जाती है | इस साल ही जलभराव के चलते कई लोग काल के ग्रास में
समा चुके हैं | लेकिन दिल्ली सरकार इस ओर कोई ठोस कदम नहीं उठा रही | अरविन्द केजरीवाल सरकार अपनी गलतियों से भी सबक नहीं लेती और केवल बयानबाजी में लगे रहना इस सरकार की आदत बन चुकी है | केजरीवाल ने 2021 में दिल्ली ड्रेनेज सिस्टम मास्टर प्लान 2021 को धरातल पर उतारकर नालियों में जल निकासी के लिए बदलाव लाने के लिए टेक्निकल एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया था, परंतु 30-35 साल पुरानी 3740 किलोमीटर लम्बाई की 2846 नालियां व नालों के लिए अलग-अलग प्लान और प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनी परंतु आज तक कोई काम नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि केजरीवाल की दिल्ली सरकार और एमसीडी की नाकामियों के कारण दिल्ली वासियों को होने वाली तकलीफ़ें कम होने का नाम नही ले रही है।
विनोद जायस कहते हैं कि मानसून में जल भराव के कारण परेशान दिल्ली वालों को राहत देने में असफल दिल्ली नगर निगम, और दिल्ली सरकार के पीडब्लूडी और बाढ़ विभाग बहाने बनाना बंद करके दिल्ली को एक स्वस्थ और सुचारु ड्रेनेज सिस्टम देने के लिए काम करें। विनोद जायस ने कहा कि दिल्ली की अधिकतर जेजे कॉलोनियों, अनधिकृत कॉलोनियों, पुनर्वास कॉलोनियों, मलिन बस्तियों, हरिजन बस्ती और वाल्मीकि बस्ती जहां अधिकतर गरीब, निम्न, मध्यम वर्ग व गरीबी रेखा से भी नीचे तक के लोग रहते है वहां सरकार यहां पीने के पानी सहित जन सुविधाएं मुहैया कराने में फेल रही है वहीं अब मानसून की बारिश से कॉलोनी तालाब में तब्दील होने के कारण बच्चे स्कूल और लोग अपने रोजगार पर जाने में असमर्थ दिखाई दे रहे है।