केंद्रीय मंत्री और आरपीआई के अध्यक्ष रामदास अठावले दिल्ली विधानसभा चुनाव में उतरने का मन बना रहे हैं. उन्होंने कहा कि मेरी पार्टी को बीजेपी से कोई सीट नहीं मिलेगी. लेकिन मेरी पार्टी का अच्छी यूनिट दिल्ली में है. कल मैं दिल्ली जा रहा हूं. चार बजे हमारी दिल्ली प्रदेश कमेटी की मीटिंग है. हमारे पास कुछ आवेदन आए हैं. कल मैं सभी उम्मीदवारों से बात करूंगा. उसमें से कितने कैंडिडेट हम लड़ेंगे ये तय करेंगे.
बता दें कि इससे पहले महाराष्ट्र में बीजेपी की सहयोगी अजित पवार की पार्टी एनसीपी दिल्ली में कुछ सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी है. एनसीपी, दिल्ली में बीजेपी से अलग होकर मैदान में उतरी हुई है.
Mumbai, Maharashtra: Union MoS Ramdas Athawale has announced that his party will contest in the Delhi Assembly elections
He says, “My party is present there, and we will not receive any seat from BJP, but my party has a strong presence in Delhi. Tomorrow, I am leaving Delhi, and… pic.twitter.com/n0JxDymGdH
— IANS (@ians_india) January 9, 2025
आम आदमी पार्टी और कांग्रेस पर क्या बोले?
दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस अलग-अलग चुनाव लड़ रही है. इस पर उन्होंने कहा, “दिल्ली में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन था. दोनों पार्टियों का एक दूसरे पर आरोप है कि एक दूसरे की मदद नहीं हुई. इसलिए आम आदमी पार्टी ने पहले अनाउंस किया था कि हम अकेले चुनाव लड़ेंगे. इसी तरह कांग्रेस पार्टी भी अकेले चुनाव लड़ रही है. इंडिया अलयांस की ऐसी पार्टियां जिनका दिल्ली में कोई अस्तित्व नहीं है वो आम आदमी पार्टी को सपोर्ट कर रही हैं. मुझे लगता है कि उनके सपोर्ट से आम आदमी पार्टी को कोई फायदा होगा, ऐसा बिल्कुल नहीं है. इंडिया अलायंस में फूट है.”
दिल्ली में अकेली पड़ी कांग्रेस?
दरअसल, रामदास अठावले का इशारा टीएमसी और सपा की तरफ है. ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी और अखिलेश यादव की सपा ने दिल्ली चुनाव में अरविंद केजरीवाल के आम आदमी पार्टी को समर्थन देने की घोषणा की है. इस बीच महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी में कांग्रेस की सहयोगी उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना यूबीटी ने कह दिया कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी जीत सकती है. सपा, टीएमसी और शिवसेना यूबीटी तीनों ही दल राष्ट्रीय स्तर पर इंडिया गठबंधन का हिस्सा हैं. लेकिन दिल्ली चुनाव को लेकर उनके रुख से ऐसा कहा जा रहा है कि कांग्रेस अकेली पड़ गई है.