केंद्र ने मणिपुर हिंसा की जांच के लिए तीन सदस्यीय आयोग का गठन किया

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केंद्र ने मणिपुर में हाल में हुई हिंसा की जांच के लिए गुवाहाटी उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश अजय लांबा की अध्यक्षता में एक जांच आयोग का गठन किया। आयोग के अन्य सदस्य सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी हिमांशु शेखर दास और सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी आलोक प्रभाकर हैं। आयोग द्वारा जांच उन शिकायतों या आरोपों पर गौर करेगी जो किसी व्यक्ति या संघ द्वारा उसके समक्ष की जा सकती हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी एक अधिसूचना के अनुसार, आयोग 3 मई को और उसके बाद मणिपुर में हुई विभिन्न समुदायों के सदस्यों को लक्षित हिंसा और दंगों के कारणों और प्रसार के संबंध में जांच करेगा। यह उन घटनाओं के अनुक्रम की जांच करेगा, जो इस तरह की हिंसा से संबंधित सभी तथ्यों की ओर ले जाती हैं, क्या किसी भी जिम्मेदार अधिकारियों, व्यक्तियों की ओर से इस संबंध में कोई चूक या कर्तव्य की अवहेलना थी और हिंसा और दंगों को रोकने और निपटने के लिए किए गए प्रशासनिक उपायों की पर्याप्तता।

आयोग जितनी जल्दी हो सके केंद्र सरकार को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा, लेकिन अपनी पहली बैठक की तारीख से छह महीने के बाद नहीं। आयोग, हालांकि, यदि वह उचित समझे, तो उक्त तिथि से पहले केंद्र सरकार को अंतरिम रिपोर्ट दे सकता है। 3 मई को जातीय संघर्ष शुरू होने के बाद से ही मणिपुर में छिटपुट हिंसा देखी जा रही है। अधिकारियों ने कहा कि झड़पों में मरने वालों की संख्या 80 से अधिक हो गई है। अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में 3 मई को पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद पहली बार जातीय हिंसा भड़की। आरक्षित वन भूमि से कूकी ग्रामीणों को बेदखल करने पर तनाव से पहले हिंसा हुई थी, जिसके कारण कई छोटे-छोटे आंदोलन हुए थे।

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