गुजरात के 2002 गोधरा कांड के बाद हुए दंगों में जीवित बचने वाली महिला बिलकिस बानो ने उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे सभी 11 दोषियों की समय से पहले रिहाई होने पर निराशा जताई है। बिलकिस बानो ने कहा कि जब मैंने सुना कि 11 अपराधी जिन्होंने मेरे परिवार और मेरे जीवन को तबाह कर दिया और मेरी 3 साल की बेटी को मुझसे छीन लिया, वे आज मुक्त हो गए तो मैं पूरी तरह से निःशब्द हो गई। मैं अभी भी स्तब्ध हूं। आज मैं बस इतना ही कह सकती हूं – किसी भी महिला के लिए न्याय इस तरह कैसे खत्म हो सकता है? मुझे अपने देश की सर्वोच्च अदालतों पर भरोसा था। मुझे सिस्टम पर भरोसा था और मैं धीरे-धीरे अपने आघात के साथ जीना सीख रही थी। इन दोषियों की रिहाई ने मेरी शांति छीन ली है और न्याय में मेरे विश्वास को हिला दिया है। मेरा दुख और मेरा डगमगाता विश्वास सिर्फ मेरे लिए नहीं बल्कि हर उस महिला के लिए है जो अदालतों में न्याय के लिए संघर्ष कर रही है। आपको बता दे कि गोधरा कांड के बाद गुजरात में दंगे भड़क गए थे और इसी दंगे के दौरान 3 मार्च 2002 को दाहोद जिले के लिमखेड़ा तालुका के रंधिकपुर गांव में भीड़ ने बिलकिस बानो के परिवार पर हमला किया था। बिलकिस बानो, जो उस समय पाँच महीने की गर्भवती थी, के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया और उसके परिवार के सात सदस्यों को दंगाइयों ने निर्मम हत्या कर दी।