सत्ता मिलते ही विधायकों का वेतन बढ़वाना याद आया भाजपा को : परमानन्द शर्मा
* साबित होती है भाजपा और आप की मिलीभगत : परमानन्द शर्मा
नई दिल्ली ( सी.पी.एन.न्यूज़ ) : अपनी सरकार की शपथ ग्रहण के डेढ़ माह के भीतर ही विधायकों के वेतन बढ़वाने के लिए भाजपा के प्रयास यह साबित करते हैं भाजपा सत्ता किसलिए चाहती थी | यह कहना है राम नगर वार्ड से कांग्रेस का नगर निगम चुनाव लड़े वरिष्ठ कांग्रेस नेता परमानन्द शर्मा का | परमानन्द शर्मा कहते हैं इस प्रयास से यह भी साबित हो गया है कि भाजपा और आम आदमी पार्टी एक दूसरे का विरोध केवल दिखावे के लिए ही करते हैं जबकि जहां इन दोनों पार्टियों की स्वार्थ सिद्धि होती हैं दोनों एक साथ हो जाती हैं |
परमानन्द शर्मा कहते है जिस तरह जब आम आदमी पार्टी सरकार नें विधायकों के वेतन में भारी बढ़ोतरी की थी उस समय भाजपा विधायकों नें कोई विरोध नहीं जताया था और उसी तरह अब भाजपा सरकार विधायकों का वेतन बढ़ाना चाहती है तो आम आदमी पार्टी जो हर मुद्दे पर शोर मचाती है लेकिन इस मुद्दे पर उसकी चुप्पी साबित करती है दोनों पार्टियों में आपसी विरोध के नाम पर नूराकुश्ती ही चलती है |
परमानन्द शर्मा नें विधायकों के वेतन वृद्धि के निर्णय की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि यह आम जनता के साथ विश्वासघात है। आम आदमी पार्टी और भाजपा की मिलीभगत से यह फैसला लिया गया है। ऐसे समय में जब दिल्ली की आर्थिक स्थिति लगातार गिर रही है, और आम जनता को महंगाई और बेरोजगारी की मार झेलनी पड़ रही है, विधायकों के वेतन में इतनी जल्दी वृद्धि करना जनता के साथ धोखा है, क्योंकि 2023 में दिल्ली के विधायकों के वेतन में 66
प्रतिशत की वृद्धि की गई थी।
परमानन्द शर्मा कहते हैं भाजपा की सरकार ने जनहित योजनाओं का बजट घटाकर विधायकों का वेतन बढ़ाकर शिक्षा, जल आपूर्ति, स्वच्छता, आवास एवं शहरी विकास, ऊर्जा, कृषि एवं ग्रामीण विकास, सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण जैसी आवश्यक योजनाओं के बजट में कटौती की है। उदाहरण के लिए जल आपूर्ति और सेनिटेशन प्रोजेक्ट्स के बजट को 18 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत कर दिया गया है। ऐसे में विधायकों के वेतन में बढ़ोतरी जनता के पैसे का गलत उपयोग होगा।
परमानन्द शर्मा कहते हैं आप पार्टी और भाजपा की मिलीभगत को उजागर करते हुए कहा कि दिल्ली विधानसभा में बजट सत्र के दौरान भाजपा और आप के
विधायकों ने एक सुर में वेतन वृद्धि की मांग की थी, जिसके बाद सरकार ने पांच सदस्यीय समिति का गठन कर दिया। यह समिति दो सप्ताह में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। ज्ञात हो कि दिल्ली के विधायकों के वेतन वृद्धि फरवरी 2023 में पहले ही 66 प्रतिशत हो चुकी है, उस समय वेतन 54,000 रुपये से बढ़ाकर 90,000 रुपये प्रति माह कर दिया गया था। इसके अलावा, मुख्यमंत्री, कैबिनेट मंत्रियों, स्पीकर, डिप्टी स्पीकर, चीफ व्हिप और नेता प्रतिपक्ष का वेतन 72,000 रुपये से बढ़ाकर 1 लाख 70 हजार रुपये कर दिया गया था। इसके बावजूद, अब फिर से विधायकों के वेतन में वृद्धि की मांग करना पूरी तरह गैर-जरूरी और जनविरोधी है।