करोड़ों खर्च करने के बाद भी नहीं सुधर रही दिल्ली की हवा : विनोद जायस

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विनोद जायस
करोड़ों खर्च करने के बाद भी नहीं सुधर रही दिल्ली की हवा : विनोद जायस

करोड़ों खर्च करने के बाद भी नहीं सुधर रही दिल्ली की हवा : विनोद जायस

* अँधेरे में तीर चलाना आदत बन चुकी है दिल्ली सरकार की

नई दिल्ली ( सी.पी.एन.न्यूज़ ) : पिछले दस साल से दिल्ली को प्रदूष्ण से राहत दिलाने के लिए करोड़ों रूपये का बजट खर्च किया गया बावजूद इसके सर्दी शुरू होने से पहले ही दिल्ली की हवाएं जहरीली होती जा रही है और इसके लिए केवल और केवल दिल्ली की सरकार जिम्मेदार है | यह कहना है भारतीय जनता पार्टी उत्तर पूर्वी जिले के उपाध्यक्ष ठाकुर विनोद जायस का | विनोद जायस कहते में दिल्ली सरकार हर मामले में अँधेरे में तीर चलाती है कामयाब हो गए तो तीर हमने चलाया था और नाकामयाब रहे तो केंद्र सरकार नें रोड़ा अटका दिया | लेकिन अब दिल्ली की जनता इनकी नौटंकियों को भलीभांति समझ चुकी है |

विनोद जायस कहते हैं मुख्यमंत्री आतिशी और पर्यावरण मंत्री गोपाल राय द्वारा विंटर एक्शन प्लान व ग्रेप-1 लागू करने के लाख दावों के बावजूद राजधानी की हवा लगातार प्रदूषित होती जा रही है, क्योंकि अरविन्द केजरीवाल पंजाब में जलाई जा रही पराली को छोड़ हरियाणा और उत्तर प्रदेश में जलाई जा रही पराली को दिल्ली में खतरनाक प्रदूषण के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे है, जबकि सुप्रीम कोर्ट भी राजधानी में वायु प्रदूषण के प्रमुख कारणां में से पराली जलाना भी एक है। डिसीजन सपोर्ट सिस्टम के मुताबिक दिल्ली के प्रदूषण में 60 प्रतिशत हिस्सेदारी सिर्फ पंजाब और हरियाणा में जलाई जा रही पराली के धुएं की है।

विनोद जायस कहते हैं कि राजधानी की हवा में पराली के धुएं की 1.287 प्रतिशत हिस्सेदारी है जो लगातार बढ़ रही है। सुप्रीम कोर्ट के सीधे हस्तक्षेप के बावजूद दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी और पूर्व मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल दिल्ली के प्रदूषण की गंभीरता को नकार रहे है, जबकि आंकड़े सरकार विंटर एक्शन प्लान, ग्रेप सख्ती से लागू करने की कलई खोल रहे है। पिछले पांच दिनों में वायु प्रदूषण एक्यूआई गंभीर रुप ले रहा है 13 अक्टूबर को 224, 14 अक्टूबर को 234, 15 अक्टूबर को 198 और 16 अक्टूबर को 230 रहा, जो आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार की तमाम घोषणाओं की नाकामी को उजागर कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आप पार्टी की सरकार प्रदूषण नियंत्रण के लिए मिले फंड 742.69 करोड़ में से सिर्फ 29 प्रतिशत ही खर्चकर पाई है। यह
उनकी प्रदूषण नियंत्रण पर संवेदनशीलता को उजागर करता है।

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