दिल्ली से बाहर के नेता को मिल सकती है दिल्ली कांग्रेस की कमान

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दिल्ली से बाहर के नेता को मिल सकती है दिल्ली कांग्रेस की कमान
दिल्ली से बाहर के नेता को मिल सकती है दिल्ली कांग्रेस की कमान

दिल्ली से बाहर के नेता को मिल सकती है दिल्ली कांग्रेस की कमान

– अश्वनी भारद्वाज –

नई दिल्ली , कर्नाटका चुनाव के बाद कांग्रेस में बड़े स्तर पर बदलाव होना तय है | चुनावी राज्यों सहित करीब आधा दर्जन राज्यों और दिल्ली कांग्रेसअध्यक्ष पद पर भी नियुक्ति होगी | अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों से पूर्व कांग्रेस जमीनी स्तर पर मजबूत हो या नही हो लेकिन चर्चा में रहना चाहती है | और कुछ ऐसे चेहरों को मौका देना चाहती है जो कांग्रेस को जनता और मीडिया के बीच जिन्दा रख सकें | कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस का पलड़ा भारी दिखता है यदि चुनाव परिणाम कांग्रेस के हक में गए तो बदलाव बड़े स्तर पर होगा और परिणाम उम्मीद के मुताबिक नहीं रहे तो भी बदलाव होगा |

कांग्रेस कार्यसमिति में भी नियुक्तियां होनी है कांग्रेस अधिवेशन में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड्गे को इस काम के लिए अधिकृत कर दिया गया है | दिल्ली के खाते से भी कम से कम दो ऐसे वरिष्ठ नेताओं को इसमें स्थान मिलना तय है जो दिल्ली अध्यक्ष पद पर तैनाती चाहते हैं | अनिल चौधरी के योगदान और मेहनत को देखते हुए पार्टी उन्हें भी खाली नहीं छोड़ने वाली | यह बात अलग है पार्टी उन्हें क्या जिम्मेदारी देगी |

मिली जानकारी के मुताबिक कांग्रेस हाईकमान को दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल से लोहा लेने के लिए किसी बड़े चेहरे की तलाश है | दिल्ली के जो नेता अध्यक्ष बनना चाहते हैं उनमे से एक भी केजरीवाल की टक्कर का नहीं है यह पार्टी को अच्छे से आभास है अजय माकन हो या देवेन्द्र यादव या फिर अरविन्द्र सिंह लवली सबका कद केजरीवाल के सामने बौना दिखता है लिहाजा पार्टी के सामने स्व.शीला दीक्षित के बाद बड़ी विकट समस्या है केजरीवाल से निपटने के लिए दिल्ली की कमान किसे सौंपी जाए | जहां तक संदीप दीक्षित का सवाल है उनकी इस पद में कोई दिलचस्पी नहीं दिखती | ऐसे में पार्टी दिल्ली के बाहर से किसी बडबोले नेता पर भरोसा कर सकती है जो ना केवल केजरीवाल को बल्कि भारतीय जनता पार्टी को भी चुनौती दे सके | पार्टी नें जब स्व.शीला दीक्षित को दिल्ली की जब कमान सौंपी थी तब पार्टी को उम्मीद नहीं थी दिल्ली की राजनीती से कोसो दूर रही शीला दीक्षित इतनी मजबूती से दिल्ली चला लेंगी और डेढ़ दशक तक सरकार भी बनाये रखेगीं |

उस वक्त भी दिल्ली के कांग्रेस नेताओं में गुटों की भरमार थी लेकिन पार्टी नें शीला दीक्षित पर भरोसा जताया था | कमोवेश वही हालत पार्टी के सामने अब है | ऐसे में माना जा रहा है पार्टी दिल्ली के बाहर के किसी वजनी नेता को दिल्ली की कमान सौंप सकती है | आज बस इतना ही नामो की चर्चा फिर कभी |

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