2020 दिल्ली दंगे मामले में कड़कड़डूमा कोर्ट ने पिता-पुत्र को सुनाया सश्रम कारावास
कोर्ट ने कहा कि सांप्रदायिक दंगे (Communal Riots) लोक अव्यवस्था का सबसे हिंसक प्रारूप है, जो समाज को प्रभावित करता है. सांप्रदायिक दंगों से न केवल जीवन और संपत्ति (Life and Property) का नुकसान होता है बल्कि सामाजिक ताने-बाने को भी बहुत नुकसान होता है.
2020 में हुए दंगे मामला
दिल्ली में 2020 में हुए दंगे के मामले में कड़कड़डूमा कोर्ट ने पिता और पुत्र को दोषी पाया है. कोर्ट ने पिता को 3 साल और बेटे को 7 साल सश्रम कारावास (Rigorous Imprisonment) की सज़ा सुनाई है. कड़कड़डूमा कोर्ट ने मिठन सिंह और उसके बेटे जॉनी कुमार को सज़ा सुनाई है. कोर्ट ने IPC की धारा-436 के तहत दोषी जॉनी कुमार को सात साल सश्रम कारावास और दोषी मिठन सिंह को तीन साल साधारण कैद की सजा सुनाई है. कड़कड़डूमा कोर्ट ने सजा सुनाए जाने के दौरान सख्त टिप्पणियां की. कोर्ट ने कहा कि पिता ने बेटे को सही रास्ता दिखाने के बजाय खुद भयावह कृत्य किया.
कोर्ट ने टिप्पणी किया कि सांप्रदायिक दंगे लोक अव्यवस्था का सबसे हिंसक प्रारूप है जो समाज को प्रभावित करता है. कोर्ट ने कहा सांप्रदायिक दंगा वह खतरा है, जो हमारे देश के नागरिकों के बीच बंधुत्व की भावना के लिए एक गंभीर खतरा है. कोर्ट ने कहा सांप्रदायिक दंगों से न केवल जीवन और संपत्ति का नुकसान होता है बल्कि सामाजिक ताने-बाने को भी बहुत नुकसान होता है.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला की अदालत ने मिठन सिंह और उसके बेटे जॉनी कुमार को धारा- 147 (दंगा करना) और धारा-436 (गृह आदि को नष्ट करने के आशय से अग्नि या विस्फोटक पदार्थ का दुरुपयोग) के तहत दोषी करार दिया था. दंगों से जुड़े मामले में खजूरी खास पुलिस ने मिठन सिंह और उसके बेटे जॉनी कुमार के खिलाफ दो प्राथमिकी दर्ज की थी.