जगतगुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद जी सरस्वती का शीतकालीन यात्रा कार्यक्रम: खुशीमठ से रवाना हुए
खुशीमठ से खरसाली प्रस्थान
परमाराध्य परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर अनन्तश्रीविभूषित जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद जी सरस्वती ‘१००८’ ने खुशीमठ में रात्रि विश्राम के बाद सुबह 10 बजे खरसाली से विश्वविद्यालय धनारी की ओर प्रस्थान किया। दोपहर 12 बजे उन्होंने नारायण मंदिर और महर्षि जमदग्नि ऋषि जी की तपस्थली, थान गांव, में दर्शन किए।
थान गांव में भव्य स्वागत
ब्राह्मण पंडितों के इस पवित्र गांव में ग्रामवासियों ने शंकराचार्य जी का पारंपरिक स्वागत किया। महर्षि जमदग्नि की तपोभूमि पर उन्होंने श्रद्धालुओं को आशीर्वाद दिया। इस अवसर पर गौ सेवा और धर्म प्रचार के लिए विख्यात गोपाल मणि जी महाराज ने भी धर्मसभा को संबोधित किया।
हिटाणु में भव्य स्वागत
शाम को शंकराचार्य जी उत्तरकाशी के हिटाणु स्थित श्रीमती मंजीरा विश्वविद्यालय पहुंचे। यहां ग्रामवासियों और स्कूल की छात्राओं ने उनका भव्य स्वागत किया। शंकराचार्य जी ने नागेश्वर मंदिर में दर्शन किए और पूज्य डॉ. हरिशंकर नौटियाल व कुलाधिपति श्रीमती मंजीरा देवी द्वारा पादुका पूजन किया गया।
धर्मसभा और आरती
धर्मसभा में गुरुदेव ने भक्तों को धर्म और आध्यात्मिक जीवन पर आशीर्वचन दिए। इस दौरान एक भव्य आरती का आयोजन हुआ। मंच संचालन आचार्य कमलेश्वर शास्त्री जी ने किया। स्वागत कार्यक्रम का नेतृत्व श्री पवन नौटियाल और सुरेशचंद्र सेमवाल, अध्यक्ष चारधाम तीर्थ पुरोहित गंगाजी महापंचायत, ने किया।
रात्रि विश्राम और अगले दिन का कार्यक्रम
गुरुदेव और उनके साथ यात्रा कर रहे श्रद्धालुओं का रात्रि विश्राम हिटाणु में हुआ। अगले दिन सुबह 7:30 बजे वे मुखीमठ की ओर प्रस्थान कर गए।
शीतकालीन यात्रा का संदेश
जगतगुरु शंकराचार्य जी की यह यात्रा धार्मिक परंपराओं और समाज में धर्म के प्रचार-प्रसार का प्रतीक है। उनकी उपस्थिति से श्रद्धालुओं में धर्म और आध्यात्मिकता के प्रति आस्था और अधिक प्रबल हो रही है।