आबकारी नीति की आड़ में घोटाले के साथ साथ लोगो के स्वास्थ्य से भी किया गया खिलवाड़ : परमानन्द शर्मा

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परमानन्द शर्मा
आबकारी नीति की आड़ में घोटाले के साथ साथ लोगो के स्वास्थ्य से भी किया गया खिलवाड़ : परमानन्द शर्मा

आबकारी नीति की आड़ में घोटाले के साथ साथ लोगो के स्वास्थ्य से भी किया गया खिलवाड़ : परमानन्द शर्मा

नई दिल्ली ( सी.पी.एन.न्यूज़ ) : आम आदमी पार्टी की सरकार नें आबकारी नीति के नाम पर बड़ा घोटाला किया ,अनेक अनियमिताएं बरती गई जिनका खुलासा कैग की रिपोर्ट में किया गया है | इतना ही नहीं इस नीति की आड़ में लाखों लोगो के स्वास्थ्य से भी खिलवाड़ कर तत्कालीन आप सरकार नें घोर पाप किया है | यह कहना है राम नगर वार्ड से नगर निगम का चुनाव लड़े वरिष्ठ कांग्रेस नेता परमानन्द शर्मा का | परमानन्द शर्मा कहते हैं दिल्ली की जनता नें आप
पार्टी को सरकार से हटा सजा दे दी है अब माननीय न्यायपालिका भी इन्हें सलाखों के पीछे भेज दंड देगी तभी दिल्ली की जनता को इन्साफ मिलेगा |

परमानन्द शर्मा कहते हैं कि भाजपा की दिल्ली सरकार को सीएजी की लंबित 14 रिपोर्ट विधानसभा पटल पर रखनी चाहिए जबकि सिर्फ एक शराब घोटाले की रिपोर्ट सदन पटल पर रखी गई है है। उन्होंने कहा कि जिन लोगो ने धोखा दिया है उन्हें जल्द से जल्द सजा मिलनी चाहिए। परमानन्द शर्मा ने कहा कि शराब घोटाले की सीएजी रिपोर्ट उजागर होने पर साफ हो गया है कि अरविन्द केजरीवाल की गलत तरीके से आबकारी नीति को लागू करने के कारण करोड़ों रूपये का राजस्व नुकसान हुआ, जिसके लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री, आबकारी मंत्री पूरी तरह जिम्मेदार हैं। परमानन्द शर्मा नें कहा ने कहा कि रिपोर्ट में यह भी उजागर हुआ है कि एक के साथ एक बोतल फ्री देकर तत्कालीन सरकार ने दिल्लीवालों के सेहत के साथ भी खिलवाड़ किया था और शराब की गुणवत्ता पर बिलकुल भी ध्यान नहीं दिया गया।

रिपोर्ट में सामने आया है कि टेस्ट रिपोर्ट बीआईएस मापदंडों के अनुरुप नही थे, कमियों के बावजूद सरकार ने लाईसेंस जारी किए और कई बै्रंडस ने पानी की गुणवत्ता, हानिकारक तत्व, भारी धातु, मिथाईल अल्कोहल और माईक्रोबायोलॉजिकल परीक्षण रिपोर्ट को पेश नही किया गया। लाइसेंस धारकों ने जो रिपोर्ट पेश की उन्हें एनएबीएल मंजूरी प्राप्त लैब से नहीं तैयार किया था, जो फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया एक्ट के तहत आवश्यक है। विदेशी शराब से संबंधित 51 प्रतिशत परीक्षण रिपोर्ट या तो उपलब्ध नहीं थी या प्रस्तुत की गई रिपोर्ट एक साल पुरानी थी या कहीं तारीख का उल्लेख नही किया गया था।

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