दिल्ली सरकार की कार्यप्रणाली की लगातार खुलती जा रही पोल : सुनील कुमार

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दिल्ली सरकार की कार्यप्रणाली की लगातार खुलती जा रही पोल : सुनील कुमार

       * अपनी गलतियों से भी सबक नहीं लेती सरकार

नई दिल्ली ( सी.पी.एन.न्यूज़  ) दिल्ली सरकार हर मामले में फेल साबित हो रही है | सरकार की पोल लगातार खुलती जा रही है | यह कहना है दिल्ली प्रदेश कांग्रेस सेवादल के अध्यक्ष सुनील कुमार का | सुनील कुमार कहते है बरसात के बाद जलभराव का मसला हो या | दूषित पानी की आपूर्ति ,नालों में गिरकर महिला तथा बच्चे की मौत हो या बिजली के करंट लगने से मौत हर मामले में सरकार की विफलता सामने आई है | बेसमेंट में नाले का पानी भरने से हुई
छात्रों की मौत नें तो सरकार की पोलपट्टी ही खोलकर रख दी है |

सुनील कुमार कहते हैं यह सरकार अपने कर्तव्य निभाने में पूरी तरह से विफल साबित हो रही है | सुनील  कुमार कहते है,  दिल्ली में  सरकार द्वारा रोहिणी दिल्ली में मानसिक रूप से विकलांग लोगो के लिए चलाए जा रहे आशा किरण नामक होम शेल्टर में पिछले 15 जुलाई से 31 जुलाई के बीच लगभग 12
लोगो की मौत हो जाना होम शेल्टर की प्रबंधन टीम के साथ साथ दिल्ली सरकार पर भी सवालिया निशान उठा रहा है,  इस तरह से होम शेल्टर में अचानक दो
हफ्ते में ही दर्जन भर लोगो की मृत्यु हो जाना काफी दुर्भाग्यपूर्ण है। यही नहीं इसी होम शेल्टर में जनवरी से अब तक लगभग 27 लोगो की मौत हो चुकी है। लेकिन इस होम शेल्टर को चलाने वाली दिल्ली सरकार चुप्पी साधे बैठी है। इस मामले में हैरानी की बात यह है कि पिछले दो सप्ताह में मरने वाले सभी लोग उल्टी और दस्त के कारण अपनी जान गंवाते हैं। ना उनको सही इलाज मिलता है और ना ही कोई जांच होती है। सच बात तो यह है कि जल जमाव से मौतें हों या यह घटना एडवरटाइजिंग के दम चेहरा चमकने वाली केजरीवाल सरकार हर मौके पर नाकाम रही है।

सुनील कुमार नें  कहा कि यह दिल्ली का दुर्भाग्य है कि आज दिल्ली पर अपरिपक्व, अदूरदर्शी और अक्षम लोग शासन कर रहे हैं। जिनको दिल्ली की जनता के दुख दर्द का कोई एहसास नहीं होता। क्योंकि लगभग 500 लोगो की क्षमता वाले होम शेल्टर में 1000 लोगो को रखा जा रहा है जबकि 2015 में ही एक रिपोर्ट में इसकी बिस्तरो की संख्या के साथ साथ डॉक्टर्स, नर्सेज और अन्य स्टाफ की क्षमता बढ़ाने के लिए कहा था लेकिन हमेशा की तरह अपनी जिम्मेदारियों से भागने वाली आम आदमी पार्टी की असंवेदनशील सरकार ने इस तरफ ध्यान ही नहीं दिया। और नतीजा आज आपके सामने है। अगर सरकार ने समय रहते इस होम शेल्टर में रहने वाले मासूम लोगो की जरूरत के हिसाब से वाहन की क्षमता और कार्य प्रणाली में बदलाव किया होता तो वह लोग यूं काल के गाल में ना समाते।

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