देशी दारु के लाइसेंस नवीनीकरण को ले फूंक-फूंक कर कदम रख रही है सरकार

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देशी दारु के लाइसेंस नवीनीकरण को ले फूंक-फूंक कर कदम रख रही है सरकार

* आबकारी विभाग से जुड़ा है मसला
* दिल्ली की जनता महीने भर से है परेशान

– अश्वनी भारद्वाज –

नई दिल्ली , राजधानी दिल्ली में नई आबकारी नीति आनन फानन में लागू कर अपनी फजीहत कराने वाली दिल्ली की सरकार अब आबकारी नाम से ही भय खाने लगी है | और खाए भी क्यों ना ,इस नाम नें पूरी सरकार के छक्के जो छुडाये हुए हैं | विभाग के मंत्री से ले संतरी तक लपेटे में आये हुए है | दिल्ली के तथाकथित मालिक भी शक के घेरे में है | खुदा का शुक्र मना रहे होंगें शायद दिवाली कायदे से मन जाए वरना उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और राज्यसभा
सांसद संजय सिंह के अगल-बगल कोठरी में कब पहुंच जाए किसी को भी कुछ मालूम नहीं | अलबत्ता महाशय मुंगेरीलाल की तरह प्लानिंग जरुर बना रहे हैं, ईडी नें यदि फंदा कसा और मनीष सिसोदिया तथा संजय सिंह की तरह जेल जाना पड़ा तो क्या जेल से ही सरकार चल सकती है | इस मुद्दे पर रायशुमारी कराने की भी योजना है |

हालांकि इस बात का जवाब उनके पास नहीं है जब नई आबकारी नीति लागू की थी तब रायशुमारी क्यों नहीं करायी थी और जब उसे वापस लिया
था तब कौन सी रायशुमारी हुई थी | आप भी सोच रहे होंगें हैडलाइन क्या है और हम लिखे क्या जा रहे हैं | अरे भाई हम भूल गए थे और आबकारी नीति ही ध्यान रही लेकिन आज की तारीख में नीति आबकारी – सब पर भारी दिख रही है ,जहां देखो वहीं आबकारी नीति की चर्चा है | केवल दिल्ली ही नहीं पूरे
मुल्क में इस नीति की चर्चा हो रही है आखिर आबकारी नीति ऐबकारी नीति कैसे बन गई | इस सवाल का जवाब तो ईडी के पास ही है और शायद यही वजह है किसी भी कोर्ट से इन को जमानत नहीं मिल रही |

ताजा मामला दिल्ली में देशी शराब का है | सूत्र बताते हैं दिल्ली की एक बड़ी आबादी जिसमें दिहाड़ी मजदूर,रिक्शा चालक,और इसी तरह के कई कामों से
जुड़े लोगो को देशी शराब दिल्ली में नहीं मिल रही | बाहुबली,नारंगी,संतरा,मुरथल,तथा एम्पायर नम्बर वन सहित कोई भी ब्रांड अब ढूँढने पर नहीं मिल रहा क्योंकि करीब महीने भर पहले इनकी लाइसेंस अवधि समाप्त हो चुकी है | और इसका नवीनीकरण होना है | जो सरकार के पास पेंडिंग है | लेकिन मामला आबकारी नीति से जुड़ा है लिहाजा सरकार फूंक-फूंक कर कदम रख रही है | इस बाबत आबकारी के कई अधिकारीयों से बात करने का प्रयास किया लेकिन घंटी बजती रही किसी नें फेस्टी सीजन जिसे विभाग का मलाई सीजन भी माना जाता है में फोन उठाना ठीक नहीं समझा | विपिन नामक एक इंस्पेक्टर से बात जरुर हुई जिन्होंने बताया इस यूनिट से करीब दस दिन पहले उनका तबादला हो चुका है | मेरे पास अब कोई जानकारी नहीं है |

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