आज सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे ए जी पेरारिवलन की जमानत याचिका स्वीकार कर ली। राजीव गांधी की हत्या 21 मई, 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरुम्बदुर में एक चुनावी रैली के दौरान महिला आत्मघाती विस्फोट के जरिए हत्या कर दी गई थी। इस घटना को अंजाम देने वाली आत्मघाती महिला की पहचान धनु के रूप में की गई थी। जस्टिस एल. नागेश्वर राव और जस्टिस बी. आर. गवई की पीठ ने उन दलीलों को ध्यान में रखते हुए ये निर्णय लिया, जिसमें कहा गया है कि दोषी पेरारिवलन 30 साल तक जेल में रहा है और उसका व्यवहार संतोषजनक रहा है, चाहे वह जेल के भीतर हो या पैरोल की अवधि के दौरान। सुप्रीम कोर्ट ने 47 साल के पेरारिवलन की उस याचिका पर सुनाई कर रही थी, जिसमें उसने एमडीएमए जांच पूरी होने तक उम्रकैद की सजा निलंबित करने की याचिका की है। धनु सहित 14 अन्य लोगों की मौत हो गयी थी। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या देश में संभवत: पहली ऐसी घटना थी जिसमें किसी सर्वोच्च नेता की हत्या के लिए आत्मघाती बम का इस्तेमाल किया गया था। कोर्ट ने मई 1999 के आदेश में चारों दोषियों- पेरारिवलन, मुरुगन, संथन और नलिनी- को मौत की सजा बरकरार रखी थी। सुप्रीम कोर्ट ने 18 फरवरी 2014 को पेरारिवलन, संथन और मुरुगन के मृत्युदंड को कम करके उम्रकैद में तब्दील कर दी थी। न्यायालय ने केंद्र सरकार द्वारा उनकी दया याचिकाओं के निपटारे में 11 साल की देरी के आधार पर फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने का निर्णय लिया था।