स्वतंत्रता दिवस नजदीक आ रहा है, यह एक ऐसा दिन है, जिस दिन पूरा देश आजादी के पर्व में डूबा रहता है। आजादी के सही मायने को लेकर सोनू सूद कहते है, ‘जब आप किसी की मदद करने के लिए आजाद हो, आप आजाद हो किसी से मदद मांगने के लिए, असल में सही मायने में यही आजादी है। मैं सभी लोगों से यही कहना चाहता हूं कि इस आजादी के पर्व को किसी की जिंदगी बदलकर मनाए। किसी बच्चे को आगे बढ़ाकर, तो किसी का इलाज करके, किसी की सर्जरी कराके, किसी को नौकरी दिलाके, आजादी के पर्व को मनाएं। ऐसा लगे कि मैंने एक हिंदुस्तान का नागरिक होने के नाते यह किया है। जब आप किसी की मदद करते है तो उससे आपको इतनी खुशी मिलती है, जितनी खुशी जिंदगी में कभी किसी काम को करने से नहीं मिली होगी। हम घर में बचपन से देखते आए हैं कि मेरी मां ताउम्र बच्चों को फ्री में पढ़ाती थीं। पिता जी ताउम्र लंगर खिलाते थे। लोग खुशी से खाना खाकर जाते थे, हम उस माहौल में पले बढ़े हैं। उस समय हमें नहीं पता था कि उसके क्या मायने है? लोगों को खाना मिलता था, खाना खा कर खुशी से जाते थे, तो मुझे वह सब देखकर बहुत खुशी होती थी। जब बच्चे पढ़कर पास होकर मम्मी को थैंक यू बोलने आते थे तो यह सब देखकर बहुत अच्छा लगता था। मुझे 18 साल में एक्टिंग करके उतनी खुशी नहीं मिली, जितनी खुशी पिछले दो साल में मिली है। मेरे माता पिता आज जहां भी होंगे अच्छा महसूस कर रहे होंगे कि जिस रास्ते को उन्होंने चुना, मैं भी उसी रास्ते पर हूं।’