केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आज करगिल विजय दिवस से पहले जम्मू पहुंचे थे। इस मौके पर रक्षा मंत्री ने उन जवानों की शहादत को याद किया जिन्होंने 1999 के युद्ध में अपनी जान दे दी थी। शहीदों के परिवारों को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा, मैं उन सभी जवानों को याद करता हूं जिन्होंने देश की सेवा में अपनी जान कुर्बान कर दी। हमारी सेना के जवानों ने जब भी जरूरत पड़ी है अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है। आगे बोलते हुए रक्षा मंत्री ने 1962 की लड़ाई पर बोलते हुए देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का भी जिक्र किया। 1962 के युद्ध की बात करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा, ‘1962 में चीन ने लद्दाख में हमारी जमीन पर कब्जा कर लिया। उस वक्त पंडित जवाहरलाल नेहरू प्रधानमंत्री थे। उनकी नीयत पर सवाल नहीं उठाया जा सकता। किसी प्रधानमंत्री की नीयत में खोट नहीं हो सकता लेकिन यह बात नीतियों पर नहीं लागू होती है। हालांकि अब भारत दुनिया के ताकतवर देशों में है। क्षा क्षेत्र में आज भारत आत्मनिर्भर हो रहा है। भारत जब बोलता है तो दुनिया सुनती है। उन्होंने कहा, 1962 में हम लोगों को जो नुकसान हुआ उससे हम परिचित हैं। उस नुकसान की भरपाई आज तक नहीं हो पाई है। हालांकि अब देश मजबूत है। उन्होंने पीओके को लेकर भी कहा कि भारत की संसद में इसको लेकर प्रस्ताव पारित हुआ था। यह क्षेत्र भारत का था और भारत का ही रहेगा। ऐसा नहीं हो सकता कि बाबा अमरनाथ हमारे यहां हों और मां शारदा सीमा के उस पार हों। ‘