India Afghanistan Relations: पाकिस्तान पर जल प्रहार की तैयारी: अफगानिस्तान के साथ भारत बनाएगा शहतूत बांध, काबुल नदी का पानी रोकने की रणनीति

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India Afghanistan Relations: पाकिस्तान पर जल प्रहार की तैयारी: अफगानिस्तान के साथ भारत बनाएगा शहतूत बांध, काबुल नदी का पानी रोकने की रणनीति

भारत एक बार फिर पाकिस्तान पर कूटनीतिक और जल प्रहार की तैयारी में है। इस बार निशाने पर है काबुल नदी, जो अफगानिस्तान से निकलकर पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में प्रवेश करती है। इस नदी पर भारत अब अफगानिस्तान की मदद से एक बड़ा बांध—शहतूत डैम—बनाने जा रहा है, जो पाकिस्तान के लिए पानी की एक और बड़ी चिंता बनकर उभरेगा।

यह परियोजना महज़ एक बांध निर्माण नहीं, बल्कि भारत की रणनीतिक चाल का हिस्सा है। भारत, तालिबान शासित अफगानिस्तान के साथ मिलकर शहतूत बांध परियोजना को पुनः सक्रिय करने जा रहा है। इस बांध के निर्माण के बाद अफगानिस्तान की राजधानी काबुल और उसके आसपास के करीब 20 लाख लोगों को स्वच्छ पेयजल मिलेगा। साथ ही यह परियोजना 4,000 हेक्टेयर भूमि को सिंचित भी करेगी।

भारत इस परियोजना के लिए 236 मिलियन डॉलर की वित्तीय और तकनीकी सहायता अफगानिस्तान को देगा। यह समझौता पहले ही फरवरी 2021 में हो चुका था, लेकिन अफगानिस्तान में सत्ता परिवर्तन के चलते इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था। अब जब भारत और तालिबान शासन के बीच सीमित बातचीत का रास्ता खुला है, तब यह परियोजना फिर से सक्रिय होती दिखाई दे रही है।

भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर और तालिबान सरकार में कार्यरत अफगान विदेश मंत्री अमीर मुत्ताकी के बीच 15 मई को हुई बातचीत में यह सहमति बनी कि भारत द्वारा शुरू की गई विकास परियोजनाएं, खासकर शहतूत बांध, फिर से शुरू की जाएंगी। यह फोन कॉल पाकिस्तान के लिए किसी झटके से कम नहीं था। पहले ही सिंधु जल समझौते को भारत ने सवालों के घेरे में डाल दिया है और अब काबुल नदी के जल प्रवाह को रोकने की योजना उसके लिए नई मुसीबत बन सकती है।

इस परियोजना से भारत को अफगानिस्तान में अपनी मौजूदगी फिर से मजबूत करने का अवसर मिलेगा, जबकि पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत को पानी की किल्लत का सामना करना पड़ सकता है। काबुल नदी हिंदू कुश पर्वत से निकलती है और सीधे पाकिस्तान में बहती है, इसलिए इस पर बनने वाला बांध सीधे पाकिस्तान की जल आपूर्ति को प्रभावित करेगा।

विशेषज्ञों के अनुसार यह कदम भारत की ‘वॉटर डिप्लोमेसी’ का हिस्सा है, जिसमें वह अपने पड़ोसियों के साथ मिलकर पाकिस्तान को अलग-थलग करने की नीति पर चल रहा है। जल संसाधन को कूटनीतिक अस्त्र बनाकर भारत एक बार फिर पाकिस्तान को घेरने की तैयारी में है।

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