Delhi News: दिल्ली नगर निगम (MCD) के कस्तूरबा अस्पताल में बिजली बैकअप न होने के कारण टॉर्च की रोशनी में महिला की डिलीवरी करने और नवजात की मौत पर सियासत तेज हो गयी है. बीजेपी और कांग्रेस ने आप सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. पीड़ित परिवार के लिए मुआवजे की मांग करते हुए दोषियों पर कार्रवाई की मांग की गयी है. बीजेपी नेता प्रवीण शंकर कपूर ने उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना को पत्र लिखकर घटना की जांच कराने की मांग की है.
बीजेपी नेता ने कहा कि एशिया का सबसे बड़ा जच्चा-बच्चा अस्पताल आज दुर्दशा के दौर से गुजर रहा है. दस साल से अरविंद केजरीवाल सरकार रखरखाव के लिए फंड नहीं दे रही है. अस्पताल के वार्ड, हॉस्टल सब जर्जर हालत में हैं.
दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने कहा है कि टॉर्च की रोशनी में डिलीवरी और नवजात की मौत मामले ने आप सरकार की स्वास्थ्य व्यवस्था का कच्चा चिट्ठा खोल दिया है. यादव ने आरोप लगाया कि नवजात की मौत कस्तूरबा अस्पताल में बिजली नहीं होने की वजह से हुई है. उन्होंने बताया कि गर्भवती महिला की डिलिवरी टॉर्च की रोशनी में की गई.
बीजेपी और कांग्रेस एक साथ
नवजात शिशु की मौत से परिवार पूरी तरह से सदमे है. कांग्रेस अध्यक्ष ने निगम अस्पताल में नवजात शिशु की मौत के लिए मेयर और स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा कि बड़े बड़े दावे करने वाली सरकार की जमीनी हालत बदहाल हो चुकी है. नवजात की मौत की जिम्मेदारी लेते हुए दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सार्वजनिक तौर पर परिवार को मुआवजे की घोषणा करें. मेयर डॉ. शैली ओबरॉय ने नगर निगम कमिश्नर को घटना की जांच के आदेश दिए हैं.
आप सरकार पर बोला हमला
उन्होंने एमसीडी कमिश्नर को लिखे पत्र में बताया, “मीडिया रिपोर्ट से पता चला है कि 22 अगस्त को कस्तूरबा गांधी अस्पताल में बिजली बैकअप न होने के कारण नवजात की मौत हुई है. आप मामले की गंभीरता से जांच करवा दोषियों का पता लगाएं. दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी.” बीजेपी नेता प्रवीण शंकर कपूर ने कहा कि अस्पताल की मेडिकल सुपरिटेंडेंट ने पत्र निकाल कर बिना वैकल्पिक व्यवस्था 1 से शाम 4 बजे तक मरम्मत के लिए बिजली कांटने की अनुमति दे दी. अस्पताल प्रशासन ने वेंटिलेटर और ऑपरेशन थियेटर तक के लिये वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की. इसलिए वेंटिलेटर पर रखे एक बच्चे की मौत हो गई. दो डिलीवरी मोमबत्ती की रोशनी में हुई. उन्होंने प्रशासनिक लापरवाही बताते हुए जांच की मांग उपराज्यपाल से की है.