पीएम मोदी ने कहा – “आजादी के बाद भी साजिशन हमें गुलामी का इतिहास पढ़ाया गया”

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आजादी के अमृत महोत्सव के तहत लचित बरफुकन का जयंती समारोह वर्ष भर मनाया गया। जिसका समापन कार्यक्रम आज दिल्ली के विज्ञान भवन में हुआ। इसी कड़ी में आज पीएम मोदी 16वीं सदी में मुगल सेना से लोहा लेने वाले असम के आहोम साम्राज्य के वीर सेनापति लचित बरफुकन की 400वीं जयंती के उपलक्ष्य साल भरे चले उत्सव के समापन में शिरक्त की। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कहा, ‘‘भारत का इतिहास सिर्फ गुलामी का इतिहास नहीं है। भारत का इतिहास योद्धाओं का इतिहास है, अत्याचारियों के विरूद्ध अभूतपूर्व शौर्य और पराक्रम दिखाने का इतिहास है। भारत का इतिहास वीरता की परंपरा का रहा है। लेकिन दुर्भाग्य से हमें आजादी के बाद भी वही इतिहास पढ़ाया जाता रहा जो गुलामी के कालखंड में साजिशन रचा गया था। देश के कोने-कोने में भारत के सपूतों ने आतताइयों का मुकाबला किया लेकिन इस इतिहास को जानबूझकर दबा दिया गया। आजादी के बाद जरूरत थी कि गुलाम बनाने वाले विदेशियों के एजेंडे को बदला जाता लेकिन ऐसा नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि ऐसे बलिदानियों को मुख्यधारा में ना लाकर जो गलती पहले की गई उसे सुधारा जा रहा है और लचित बोड़फूकन की जयंती को मनाने के लिए दिल्ली में किया गया यह आयोजन इसी का प्रतिबिंब है। देश आज गुलामी की मानसिकता को छोड़ अपनी विरासत पर गर्व करने के भाव से भरा हुआ है और भारत ना सिर्फ अपनी सांस्कृतिक विविधता का उत्सव मना रहा है बल्कि अपनी संस्कृति के ऐतिहासिक नायक-नायिकाओं को भी गर्व से याद कर रहा है। बोड़फकून ऐसे वीर योद्धा थे, जिन्होंने दिखा दिया कि हर आतंकी का अंत हो जाता है लेकिन भारत की अमर ज्योति अमर बनी रहती है।

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