OBC पार्टी और NOTA का मेल, NDA के साथ हो गया खेल, कालीशंकर ने कहा- ‘गठबंधन को हुआ फायदा’
कालीशंकर ने कहा कि इस बार के चुनाव की तुलना पिछले चुनाव से की जाए तो देखने को मिलेगा कि ऐसा उलट फिर हुआ है कि जहां प्रत्याशी जितने मार्जिन से हारे हैं, उससे अधिक वहां पर नोटा पड़ा है.
ओबीसी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष कालीशंकर ने कहा कि उनकी चुनाव में भागीदारी भले नहीं रही है क्योंकि चुनाव के ठीक पहले उनकी पार्टी का रजिस्ट्रेशन हुआ है. लेकिन ओबीसी पार्टी और ओबीसी आर्मी ने आमजन के साथ ही अधिकारियों अपने पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं से अपील की थी कि जो काम घातक हो उसे वोट दें. उन्होंने कहा कि चाहे कांग्रेस पार्टी हो और चाहे सपा हो या फिर जो जाती है आधार पर बनी पार्टियां हैं, जिन्होंने जनता को सब्जबाग दिखाया था. चाहे निषाद पार्टी, राजभर की पार्टी, पटेल की पार्टी और मौर्या की पार्टी शामिल है. उन्होंने अपील की थी कि नोटा दबाइएगा.
ओबीसी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष कालीशंकर ने कहा कि जब ये पार्टियां सत्ता में रहीं तो ओबीसी की बात नहीं किए. जब ये सत्ता में रहे, तो इन्हें पीडीए भी याद नहीं आया. उसे समय इन्हें आबादी के हिसाब से भागीदारी याद नहीं आई. जब यह सत्ता में रहे तो इन्हें जाति जनगणना याद नहीं आई. सत्ता से हटते ही इनका प्रेम उमड़-उमड़कर ओबीसी के प्रति बढ़ने लगा. ओबीसी समाज लगातार धोखा खा रहा था. जो उनका संवैधानिक अधिकार रहा है, आजादी इए बाद से आबादी के अनुसार जो आरक्षण की वे मांग कर रहे हैं. वह अधिकार कहीं न कहीं धोखेबाजी के चक्कर में फंस गया है. यही वजह है कि उन लोगों ने नोटा दबाया.
इस बार के चुनाव की तुलना पिछले चुनाव से की जाए तो देखने को मिलेगा कि ऐसा उलट फिर हुआ है कि जहां प्रत्याशी जितने मार्जिन से हारे हैं, उससे अधिक वहां पर नोटा पड़ा है. यूपी की तमाम ऐसी सीटें हैं, जो प्रभावित हुई हैं. यह उनकी झांकी थी. ओबीसी पार्टी 2027 में देश की यह पहले पिछड़ों की पार्टी बनी है, जो अपने दम पर सरकार बनाई गई और अपने हक और अधिकार कानून बनाकर लेकर रहेगी.