केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज कहा कि इस तरह की जन धारणा है कि यदि सरदार वल्लभभाई पटेल को भारत का पहला प्रधानमंत्री बनाया गया होता तो देश के सामने अनेक समस्याएं होती ही नहीं। अमित शाह भारत के पहले गृह मंत्री सरदार पटेल की 147वीं जयंती के अवसर पर राजधानी स्थित सरदार पटेल विद्यालय में छात्रों और शिक्षकों को संबोधित कर रहे थे। स्कूल का संचालन गुजरात एजुकेशन सोसायटी करती है। गृह मंत्री ने कहा, ‘अपनी भाषा कभी न छोड़ें। दुनिया भर की अन्य सभी भाषाएं सीखें, लेकिन अपनी मूल भाषा न छोड़ें। भाषा अभिव्यक्ति का एक रूप है न कि आपकी बुद्धि की। किसी को भी अंग्रेजी न जानने में हीन भावना नहीं होनी चाहिए। अपनी मातृभाषा को जीवित रखें।’ पटेल की 147वीं जयंती के अवसर पर अपने संबोधन में शाह ने भारतीय भाषाओं के प्रचार-प्रसार की पुरजोर वकालत की और माता-पिता से कहा कि वे अपने बच्चों से घर पर ही अपनी मातृभाषा में बात करें। छात्रों को अपने संबोधन में गृह मंत्री ने कहा कि बुनियादी शिक्षा स्थानीय भाषा में दी जानी चाहिए। उन्होंने उनसे अपनी मूल भाषाओं और बोलियों को जीवित रखने का भी आग्रह किया। उन्होंने कहा कि भारत की 75 साल की यात्रा में कई कठिन समय देखे गए हैं, जब देश को युद्धों और अन्य चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
शाह ने कहा कि मोदी सरकार ने संवैधानिक और लोकतांत्रिक मूल्यों को गहरा करने के लिए काम किया है और इसने देश की सुरक्षा को मजबूत किया है। अब, कोई भी भारत की सीमाओं पर बुरी नज़र डालने की हिम्मत नहीं कर सकता है। हमने अर्थव्यवस्था को मजबूत किया, विकास की शुरुआत की और बुनियादी ढांचे का निर्माण किया जिसे अगले कुछ वर्षों में बेहतर बनाया जाएगा। गृह मंत्री ने कहा कि भारत अपनी कड़ी मेहनत के दम पर इंग्लैंड की जगह दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। उन्होंने कहा, ‘हमें अब यह तय करना होगा कि जब हम अपनी आजादी के 100वें वर्ष का जश्न मनाएंगे तो अनुसंधान और विकास, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचे, सुरक्षा आदि के मामले में हमारा देश कहां होगा।’ अपने भाषण की शुरुआत में, शाह ने रविवार को गुजरात के मोरबी पुल गिरने में मारे गए लोगों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि इस दुखद दुर्घटना से पूरा देश दुखी है जिसमें कई बच्चों की भी जान चली गई।