Maldives Crisis: भारत कथित तौर पर मालदीव को वित्तीय सहायता देने की तैयारी कर रहा है और राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू जल्द ही भारत का दौरा कर सकते हैं. इस बात की घोषणा मालदीव सरकार ने की. मालदीव आर्थिक संकट और बाहरी कर्ज के चलते डिफॉल्टर होने की कगार पर खड़ा है.
हालांकि मालदीव सरकार ने अभी तक औपचारिक रूप से भारत से सहायता का अनुरोध नहीं किया है, लेकिन राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की आगामी भारत यात्रा के दौरान इस पर चर्चा होने की संभावना है. ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मालदीव को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के मुद्रा स्वैप कार्यक्रम के तहत तुरंत 400 मिलियन डॉलर मिल सकते हैं, जबकि 2019 में विस्तारित 800 मिलियन डॉलर की ऋण सीमा के तहत अतिरिक्त दीर्घकालिक ऋण की मांग की जा सकती है.
भारत से मदद की गुहार लगा रहा मालदीव
ब्लूमबर्ग ने बताया कि मालदीव को अक्टूबर में 25 मिलियन डॉलर का भुगतान करना है, जो उसके 500 मिलियन डॉलर के सुकुक लोन का हिस्सा है. मालदीव मौद्रिक प्राधिकरण ने पुष्टि की है कि वह भारत के साथ 400 मिलियन डॉलर की मुद्रा अदला-बदली के लिए बातचीत कर रहा है, लेकिन भारत के विदेश मंत्रालय और अन्य संबंधित निकायों ने इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की है.
हाल के सालों में मालदीव के सामने आर्थिक चुनौतियां और भी बढ़ गई हैं. ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के मुताबिक, मार्च 2024 तक देश का लोन उसके सकल घरेलू उत्पाद का 110% हो गया है, जबकि विदेशी मुद्रा भंडार कम हो गया है. 2025 और 2026 में महत्वपूर्ण बाहरी ऋण चुकौती के साथ, रेटिंग एजेंसी मूडीज ने हाल ही में देश की क्रेडिट रेटिंग को और भी कम करके जंक स्टेटस में डाल दिया, जिसमें डिफॉल्ट के बढ़ते जोखिम का हवाला दिया गया.
कई चुनौतियों का सामना कर रहा मालदीव
मुइज्जू के भारत विरोधी होने पर चुनाव लड़ने और चीन के साथ संबंधों को मजबूत करने की प्रतिज्ञा के बावजूद, भारत मालदीव का समर्थन करने के लिए तैयार है. क्षेत्रीय प्रभाव के लिए भारत और चीन के बीच प्रतिद्वंद्विता जारी है, जैसा कि चीन के मालदीव के साथ स्थानीय मुद्राओं के उपयोग को बढ़ाने के लिए हाल ही में किए गए समझौते में देखा गया है.
इस बीच, मालदीव अपनी पर्यटन-निर्भर अर्थव्यवस्था से जूझ रहा है, जिसे पिछले साल राजनयिक तनाव के बाद भारतीय पर्यटकों के बहिष्कार के कारण नुकसान उठाना पड़ा था.