केजरीवाल नें चुनावों के लिए सजानी शुरू की फील्डिंग
दो दर्जन से ज्यादा उतारेंगे नये चेहरे
– अश्वनी भारद्वाज –
नई दिल्ली ,दिल्ली की सियासत के नायक पूर्व मुख्यमंत्री आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को हरियाणा में भले ही तसल्ली के अलावा कुछ नहीं मिला,तसल्ली यह कि हम नहीं जीते कोई बात नहीं लेकिन हमारे बिना आप भी तो अधूरे रह गए | राहुल गांधी से ले यह मेसेज सब तक पहुंच गया | लेकिन दिल्ली को ले वे बेहद सचेत तथा गंभीर है | होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए उन्होंने अपना तरकश सजा लिया है और उन्हें मालूम है कब कौन सा तीर चलाना है ,किसे लपेटना है और किसे बक्शना है उनके एजेंडे में है | समझ गए ना आप पिछले विधानसभा चुनावों में उनकी पार्टी 62 सीटें जीती थी जिसे वे बरकरार रखना चाहेगें | उनके लिए यह इतना आसान नहीं है पिछली बार की तुलना में इस बार हालत कुछ बदले-बदले हैं ,भाजपा का जहां आत्मविश्वास बढ़ा है वहीं कांग्रेस भी ग्राफ बढने की उम्मीद में है लिहाजा अरविन्द का हर कदम सियासी रहने वाला है इस सम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकता |
जनता की अदालत में खुद को और अपनी टीम को निर्दोष साबित करना उनके सामने सबसे बड़ी चुनोती रहने वाली है ,वहीं नाकारा विधायकों की फीडबैक मिलने से भी उनका बेचैन होना लाजमी है | नाकरा विधायकों का ईलाज तो उन्होंने तलाश लिया है यानी उनकी छुट्टी कर नये चेहरों को उतारने की योजना पुराना फार्मूला रहा है | माना जा रहा है इस बार अरविन्द कम से कम दो दर्जन नये चेहरों पर दावं लगाने वाले हैं | कुछ पुराने तो खुद ही पाला बदल चुके हैं ,कुछ पिछली बार विधानसभा नहीं पहुंच सके थे उनमें से भी छटनी होनी तय है | यानी जो पिछली हवा में नहीं जीत सके विपरीत हालातों में केवल उन्हें ही मौका मिलेगा जो पूरे पांच साल सक्रिय रहे हैं और पार्टी के साथ खड़े रहे हैं | चुनावी रणनीति के तहत विपक्षी खेमें में सेंध भी उनका एजेंडा है |
बीते दिनों जुबेर अहमद,ब्रह्मसिंह तंवर और आज ही बी.बी.त्यागी जैसे धुरन्धरो को उन्होंने अपनी टोपी पहना दी है जो अभी और जारी रहने की उम्मीद है |कांग्रेस के कम से कम बीस तो भाजपा के दस नेता उनके सम्पर्क में है | जिस तरह से कई विधायकों को लोकसभा चुनाव लडवाया थी उसी तर्ज पर कुछ तेज तर्रार पार्षदों को विधानसभा चुनाव लडवाने की योजना बन सकती है | केजरीवाल के लिए निगम की सत्ता से ज्यादा दिल्ली की सत्ता मायने रखती है | जहां तक गठ्बन्धन का सवाल है इस पर बाद में चर्चा करेंगे | आज बस इतना ही …